सरायकेला: आपातकाल के 49 वें वर्षगांठ के दिन सरायकेला में एकबार फिर से मीडियाकर्मियों को जिला प्रशासन ने आपातकाल की याद अपने अंदाज में दिलाया है. जहां मीडियाकर्मियों के लिए बने व्हाट्सएप ग्रुप IPRD MEDIA Seraikela ग्रुप को मीडियाकर्मी द्वारा सवाल पूछे जाने पर निष्क्रिय कर दिया गया.
दरअसल ग्रुप में एक मीडियाकर्मी ने उपायुक्त से सवाल किया कि “सरायकेलाया जिले के उपायुक्त महोदय से नम्र निवेदन है कि कभी कभार फोन रिसीव करने की कृपा करें, या व्हाट्सएप मैसेज का अवलोकन कर उसका भी रिप्लाई दें,, बड़ी मेहरबानी होगी आपकी,,” इसके तुरंत बाद डीपीआरओ ने ग्रुप के सदस्यों को रिमूव करना शुरू कर दिया और अंत में ग्रुप को बंद कर दिया.
अहम सवाल ये है कि आखिर उक्त मीडियाकर्मी ने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया जिससे जनसंपर्क अधिकारी नाराज हो गए ? मीडियाकर्मियों के लिए बनाए गए मंच में यदि मीडियाकर्मी सवाल न करे तो कहां करे. वैसे भी जिले का शायद ही कोई मीडियाकर्मी हो जिसका फ़ोन डीसी उठाते हैं. यहां तक कि प्रेस कांफ्रेंस में भी डीसी मीडियाकर्मियों के सवालों का सटीक जवाब नहीं देते केवल अपनी बातें कर प्रेस कांफ्रेंस समाप्त कर देते हैं. इसे किस नजरिये से देखा जाए ? क्या इसे अघोषित आपातकाल नहीं समझा जाए, जहां मीडिया के अधिकार का हनन किया जा रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि सरायकेला जिले में मीडिया कर्मियों को सवाल पूछने की आजादी नहीं है. किसी भी खबर की पुष्टि के लिए प्रशासनिक पक्ष की अनिवार्यता होती है. अधिकारी यदि इससे भागेंगे तो खबर अपुष्ट होगा और खबर की प्रमाणिकता भी सार्थक नहीं होगी. वैसे सरायकेला जिले के इतिहास में इस तरह की यह पहली घटना है. इससे पहले पुलिस- प्रशासन और मीडियाकर्मियों के संबंध काफी मधुर और एकदूसरे को प्रोत्साहित करने वाला रहा है, मगर वर्तमान उपायुक्त के कार्यालय में इसमे कमी आई है. उनके ईमानदारी या कर्तव्यनिष्ठा पर कोई संदेह नहीं है, मगर मीडियाकर्मियों के मामले में उनकी सोच प्रासंगिक बनी हुई है. वैसे उपायुक्त की मौजूदगी में जिस तरह का वर्ताव मीडिया कर्मियों को ग्रुप से बाहर कर ग्रुप को डिस्मेंटल किया गया उससे मीडियाकर्मियों में नाराजगी व्याप्त है.