सरायकेला: झारखंड इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूमर एसोशिएसन का एक प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को केन्द्रीय बिजली मंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा. सौंपे गए ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि वर्त्तमान शीतकालीन सत्र में बिजली एक्ट 2003 को संशोधन कर विधेयक 2021 बिल पारित करने की कोशीश हो रही है, जो कि बिजली क्षेत्र में और अधिक उदारीकरण लाकर आम जनता को बर्बादी की तरफ ले जाएगा. विधेयक में अन्य बातों के साथ- साथ बिजली वितण को तीन दायरों में विभाजित करने का प्रस्याव है. जिसमें वितरण लाईसेंसधारी, उपवितरण लाईसेंसधारी व फ्रेंचाईजी जो सभी निजी हाथों में होंगे. ज्ञापन में कहा गया है, कि यदि यह विधेयक पारित होता है, कि टैरिफ को और बढाया जाएगा जिससे आम उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ बढेगा और उनका उत्पीडन होगा. यह सत्ता के द्वारा सरकारी बिजली वितरण को पूंजीपति घरानों के हाथों में सौंपने की एक मात्र चाल है. ज्ञापन में बिजली को एक जनकल्याणकारी के रूप में मानने, संशोधन बिल को तत्काल वापस लेने, प्रीपेट मीटर पर रोक लगाने, तथाकथित सब्सिडी हटाने के नाम पर आम उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें नहीं बढाने, कृषि क्षेत्र के लिए मुफ्त बिजली, घरेलु व छोटे उद्योगों को 200 युनिट तक मुफ्त बिजली आपूर्ति करने, छोटे व्यवसायों को प्रति युनिट एक रुपये के हिसाब से बिल देने, गैर पारंपरिक बिजली के उत्पादन व उपयोग पर आम जनता, उपभोक्ता पर कोई प्रतिबंध नही लगाने की मांग की गई है. ज्ञापन देने वालों में लिली दास, आशीष देव, विष्णुदेव गिरी, संतोषी महतो, एमपी सिंह सरदार व प्रकाश महतो सहित अन्य शामिल थे.
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