सरायकेला: सरायकेला जिला के गिद्दीबेड़ा टॉल प्लाजा से गिरफ्त में आए एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रशांत बोस उर्फ बूढ़ा एवं उनकी पत्नी शीला मरांडी, वीरेंद्र हांसदा, राजू टुडू, कृष्णा बाहन्दा और गुरुचरण बोदरा की रिमांड अवधि रविवार को पूरी होने के बाद जिला पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में सदर अस्पताल में मेडिकल कारने के बाद कोर्ट में पेश किया.
जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जानकारी हो कि पूछताछ के लिए पिछले सोमवार यानी 15 नवंबर को सरायकेला अनुमंडल दंडाधिकारी ने सात दिनों की पुलिस रिमांड दी थी. पुलिस के आलाधिकारी नक्सलियों को अपने साथ कड़ी सुरक्षा में लेकर सुरक्षित स्थान पर चले गए थे जहां पूछताछ की गयी. रविवार को रिमांड अवधि पूरी होने के बाद सभी को पुनः सरायकेला सदर अस्पताल मेडिकल जांच के लिए लाया गया. जहां रविवार देर शाम कोर्ट में पेश करने के बाद सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जानकारी के अनुसार प्रशांत बोस को लघुशंका में जलन की शिकायत है. प्रशांत बोस का यूरिन टेस्ट कराया गया.
इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया था. दिनभर सदर अस्पताल परिसर से लेकर जेल तक छावनी में तब्दील रही. नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के थिंक टैंक प्रशांत बोस, पत्नी शीला मरांडी सहित सभी गिरफ्तार नक्सलियों को पुलिस ने 150 घंटे की रिमांड पर लिया था. कांड्रा थाना की पुलिस ने न्यायालय में रिमांड के लिए अर्जी दायर की थी. इसके बाद इन्हें सात दिन की रिमांड पर लिया गया था. इस दौरान इन सभी से नक्सली गतिविधियों की जानकारी ली गयी.
पचीस गाडियों के काफिले के साथ लाया गया सरायकेला
रांची से 25 गाड़ियों के काफिले के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच सभी छह नक्सलियों को सरायकेला सदर अस्पताल लाया. सदर अस्पताल पूरी तरह छावनी में तब्दील रहा. इस दौरान सरायकेला के एसपी आनंद प्रकाश खुद मौजूद रहे. बताया गया कि प्रशांत बोस की नक्सली पत्नी शीला मरांडी बीमार है. उसका किसी अस्पताल में इलाज चल रहा था. इसी कारण करीब साढ़े तीन बजे उन्हें एंबुंलेंस से सरायकेला सदर अस्पताल लाया गया. और शीला मरांडी का भी मेडिकल कराकर सभी को कोर्ट में पेश किया गया जहां से सभी के साथ उन्हें भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
इधर इस गिरफ्तारी के विरोध में माओवादियों ने 15 से 19 नवंबर तक तक प्रतिरोध दिवस के रूप मनाया. 20 नवंबर को भारत बंद के दौरान रेलवे ट्रैक उड़ाया था. नक्सली प्रशांत पर प्रधानमंत्री की हत्या साजिश रचने का आरोप भी है.
इन्हें भेजा गया जेल
प्रशांत बोस उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा (पिता : ज्योतिंद्र नाथ सान्याल), 7/12 सी, विजयगढ़ कॉलोनी, जादवपुर, कोलकाता.
शीला मरांडी (पति : प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, पति : स्व. भादो हांसदा), नावाटांड़, मनियाडीह, धनबाद
बिरेंद्र हांसदा उर्फ जितेंद्र (पिता : मोतिलाल हांसदा), चतरो, खुरखुरा, गिरिडीह
राजू टुडू उर्फ निखिल उर्फ बाजु (पिता : जयसिंह टुडू), करमाटांड़, नौखनिया, पीड़टांड़, गिरिडीह
कृष्णा बाहंदा उर्फ हेवेन (पिता : स्व. चमरा बाहंदा), अमराय कितापी, गोइलकेरा, पश्चिम सिंहभूम
गुरुचरण बोदरा (पिता : गुलाब सिंह), मदन जाहीर, सोनुआ, पश्चिम सिंहभूम
जेल की बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
नक्सली प्रशांत बोस समेत छह को जेल भेजे जाने के बाद मंडल कारा सरायकेला की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. जेल में झारखंड जगुवार के दो कंपनी के जवानो व सैट के एक कंपनी के जवानो को सुरक्षा में लगाया गया है. इसके अलावे थाना प्रभारी मनोहर कुमार के नेतृत्व में जिला बल के अतिरिक्त 250 जवान जेल की सुरक्षा में लगाए गए है. जेल की सुरक्षा में चप्पे- चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गयी है.
कई राज्यों के नक्सली नेताओं के यहां आना-जाना होता था प्रशांत बोस का
प्रशांत बोस झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सीपीआइ माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी को कमांड करता था. इन राज्यों के नक्सली नेताओं का आना-जाना और मिलना-जुलना प्रशांत बोस से था. 2004 से पहले प्रशांत बोस एमसीआइआइ का प्रमुख था. उसकी पत्नी शीला मरांडी माओवादी संगठन की शीर्ष सेंट्रल कमेटी की सदस्य है. साथ ही वह नारी संघ की प्रमुख है. प्रशांत बोस अपने प्रभाव वाले क्षेत्र के कैंडरों को एक राज्य से दूसरे राज्य प्रशिक्षण के लिए भेजता था और बड़ी-बड़ी वारदातो को अंजाम दिलवाता था.
विलय में निभायी थी भूमिका
प्रशांत बोस ने 2004 में संगठन को खड़ा किया. पीपुल्स वार ग्रुप एमसीसीआइ यानी माओइस्ट कम्यूनिस्ट सेंटर आफ इंडिया का विलय किया था. इसके बाद सीपीआइ माओवादी अस्तित्व में आया. दोनों संगठन का विलय प्रशांत बोस के प्रयास से ही हुआ जिससे संगठन की ताकत बढ़ती चली गई.
70 से अधिक मामलों में वह वांछित रहा है 1974 में जा चुके थे जेल
साल 1974 में पुलिस द्वारा प्रशांत बोस को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया था. 1978 में जेल से निकलने के बाद प्रशांत बोस दोबारा भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गये. पिछले 45 सालों से संगठन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे. साल 2004 में भाकपा माओवादी संगठन का गठन होने के बाद प्रशांत बोस केंद्रीय कमेटी सदस्य, पोलित ब्यूरो सदस्य, केंद्रीय मिलिट्री कमीशन सदस्य और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रभारी बनाये गये.