सरायकेला/ Pramod Singh पुलिस कप्तान डॉ विमल कुमार ने शनिवार को अपने दो महीने की उपलब्धियां गिनायी. जहां उन्होंने बताया कि पिछले दो महीनों में पुलिस ने अलग- अलग कांडों के कुल 134 अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा है.
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इधर जिले के सबसे महत्वपूर्ण थानों में शुमार आदित्यपुर थाने की अगर हम बात करें तो यहां की पुलिस महिलाओं के मामले में गंम्भीर नजर नहीं आ रही है. इसपर जिले के तमाम आलाधिकारी मौन हैं. आपको बता दें कि आदित्यपुर थाने में हाल में महिला उत्पीड़न से संबंधित दो मामले दर्ज हुए हैं, दोनों ही मामले एसटी महिला से संबंधित हैं. बता दें कि दोनों ही मामलों में पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है.
पहला मामला पूर्व कांग्रेस नेत्री का है. हालांकि अब कांग्रेस नेत्री ने कांग्रेस से नाता तोड़ जदयू का दामन थाम लिया है. उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष विशु हेम्ब्रम के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था. करीब चार महीने बीतने को हैं आजतक पुलिस आरोपी कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर पाने में विफल रही है.
दूसरा मामला भी एक आदिवासी महिला का है. महिला का आरोप है कि आईटी साइंट में उनके साथ काम करनेवाला उसका सहयोगी नीतेश चंदा उसे शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन शोषण किया. महिला करीब डेढ़ महीने तक आरोपी युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने का चक्कर लगाती रही, मगर पुलिस महिला की शिकायत दर्ज करने को लेकर संवेदनशीन नजर नहीं आयी. इस दौरान महिला के साथ थाने का एक एसएसआई काउंसिलिंग के नाम पर उससे देर रात संपर्क करता रहा, उसे वीडियो कॉलिंग के लिए ऑफर करता रहा. हालांकि अब महिला का एफआईआर दर्ज हो चुका है. डीएसपी हेडक्वार्टर चंदन कुमार वत्स मामले का अनुसंधान कर रहे हैं. एफआईआर दर्ज हुए एक हफ्ता बीत चुका है. न तो आरोपी गिरफ्तार हुआ है, न ही जिले के पुलिस कप्तान ने शनिवार को इसकी चर्चा की.
सूत्रों की माने तो एफआईआर दर्ज होते ही आरोपी युवक भूमिगत हो गया है. इधर महिला को आईटी साइंट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इंसाफ की लड़ाई में महिला बिल्कुल अकेली रह गयी है. अब सवाल ये उठता है कि जो आदिवासी राज्य के सियासत के केंद्रबिंदु हैं, उस आदिवासी को इंसाफ के लिए आखिर दर- दर की ठोकरें क्यों खानी पड़ी रही है !
महिला सुरक्षा को लेकर केंद्र और राज्य की सरकारें बड़े- बड़े दावे करती है. एससी/ एसटी वर्ग के लिए सख्त कानून है, मगर उसी कानून के तहत दर्ज शिकायत पर पुलिस और पुलिसिया कार्रवाई से साफ हो गया है कि यहां कानून वही है जिसे पुलिस साबित करे. दोनों ही प्रकरण में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से पुलिस की कार्यशैली पर एकसाथ कई सवाल उठ रहे हैं जो एसपी के सारे उपलब्धियों को मुंह चिढ़ा रहा है.
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