झारखंड में कोरोना का दूसरा लहर तबाही का मंजर लेकर आया है. वैसे यहां की सरकार और सरकारी मशीनरी दिन- रात इस महामारी से लड़ने की कवायद में जुटी हुई है. लेकिन हम आपको जो नजारा दिखाने जा रहे हैं वो नजारा महामारी से ज्यादा भयावह है.
इन तस्वीरों को जरा गौर से देखिए… ये नजारा है झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड के टांगरजोड़ा गांव का. यहां कोरोना से बड़ी समस्या लोगों के समक्ष शुध्द पानी की है.
लगभग 150 सौ परिवार वाले इस गांव की कुल आबादी लगभग 950 के आसपास है. गांव में आठ सरकारी चापाकल हैं, जिनमे से 5 खराब पड़े हैं. तीन में पानी आता भी है, तो बूंद- बूंद. मतलब एक बाल्टी पानी के लिए आपको एक घंटे तक चापाकल को पम्पिंग करना होगा.
एक टोला में केवल एक चापाकल के भरोसे लगभग 40 घरों के लोग पानी ले रहे हैं. ग्राम प्रधान अशोक कुमार गोप का कहना है, कि लगभग सुबह 3 बजे से घर की महिलाएं लाइन लगी रहती है. यह सिलसिला रात 10 बजे तक जारी रहता है.
ग्रामीणों का कहना है कि पीने का शुद्ध पानी नहीं मिलने के कारण तालाब का पानी पीने को विवश हैं. गाँव मे एक जलमीनार भी है मगर उससे भी सीमित मात्रा में ही पानी मिल पाता है.
अब जरा आप अंदाजा लगा लीजिये कैसे सरायकेला के राजनगर प्रखंड के इस गांव के लोग जी रहे हैं. अलग झारखंड राज्य गठन हुए 21 साल बीत चुके हैं. 16 साल यहां भाजपा और झामुमो ने राज किया है.
पिछले चार टर्म से इस क्षेत्र से वर्तमान मंत्री चम्पई सोरेन चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन यहां के ग्रामीणों को आजतक शुद्ध पानी नसीब नहीं हो सका है. ऐसे में आप ही अंदाजा लगा लीजिये बदलते झारखंड की क्या जमीनी हकीकत है.