जमशेदपुर Charanjeet Singh
साकची गुरुद्वारा में सावन की संग्रांद के मौके पर बड़ी संख्या में संगत ने विशेष कीर्तन दीवान में शामिल होते हुए श्री गुरुग्रन्थ साहिब के सम्मुख शीश नवाया. शनिवार को परंपरागत श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ गुरु महाराज की हजूरी में सावन की संग्रांद मनायी गयी.
प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने गुरुग्रन्थ साहिब की बाणी “सावण सरसी कामणी चरन कमल सिउ प्यार” की व्याख्या की करते हुए संगत से ज्ञान साझा किया कि परमात्मा के साथ स्नेह करें और परमात्मा के सम्मुख रहें.
गुरप्रीत सिंह हजूरी रागी जत्था अमृतसर ने जब गुरुग्रन्थ साहिब की बाणी “सावण आया हे सखी” और “ऐसी प्रीत करो मन मेरे, एकस शिउ चित लाए” का गायन किया तो कीर्तन का श्रवण कर रही पूरी संगत गुरु की भक्ति में लीन हो गयी. हजूरी रागी जत्था, साकची गुरुलाल सिंह, सुखमणि साहिब कीर्तनी जत्था एवं स्त्री सत्संग सभा, साकची की बीबियों ने मधुर गुरबाणी-कीर्तन प्रस्तुत संगत को निहाल किया.
संगत को सम्बोधित करते हुए साकची गुरुद्वारा के प्रधान निशान सिंह ने कहा कि संगत को गुरुद्वारा से जोड़ना उनका और कमेटी का मुख्य उद्देश्य है और वे इसके लिए आगे और भी धार्मिक समागम आयोजित करेंगे.
शनिवार सुबह से ही आयोजित समारोह में गुरु घर में माथा टेकने वालों का तांता लगा रहा. सिख समुदाय के साथ अन्य धर्मों के लोगों ने भी पूरे धार्मिक सौहार्द के साथ गुरूद्वारे में माथा टेका और गुरुवाणी का प्रसाद भी ग्रहण किया. संगरांद के अवसर पर गुरु का अटूट लंगर भी बरताया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने लंगर छका. लंगर के दौरान यह भी काबिल-ए-गौर रहा कि पर्यावरण का पूरा ख्याल रखते हुए प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया.
कीर्तन दरबार को सफल बनाने में साकची गुरुद्वारा के तमाम सदस्यों के आलावा सिख नौजवान सभा, साकची, स्त्री सत्संग सभा और गुरु नानक स्कूल के बच्चों का उल्लेखनीय योगदान दिया.