वर्षों से न्याय की आस लगाए बैठे सहारा के निवेशकों और कार्यकर्ताओं के लिए न्यायपालिका ने अब सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है. बीते शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने बैंकिंग धोखाधड़ी से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए सहारा इंडिया की विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किए गए पैसे के भुगतान को लेकर राज्य सरकार समेत भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी, ईओयू एवं कंपनी रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई आठ मार्च को होगी.
न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने प्रमोद कुमार सैनी एवं अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते. हुए पूछा कि जिन लोगों ने सहारा इंडिया की विभिन्न स्कीमों में अपना पैसा जमा किया है उन्हें लौटाने की दिशा में क्या किया जा रहा है.
एकलपीठ ने कोर्ट को सहयोग करने के लिए अधिवक्ता अभिनव अशोक और अधिवक्ता राकेश को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. पटना हाईकोर्ट की पहल पर न्याय की आस में बैठे करोड़ों निवेशकों और कार्यकर्ताओं में उम्मीद की किरण जगी है.
विदित रहे कि साल 2008- 09 से शुरू हुए सहारा- सेबी विवाद के बाद से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत समूह के सारे खातों पर एम्बर्गो लगे हैं, जिसमें पैसे जमा तो हो सकते हैं, मगर निकासी का आदेश नहीं है. सहारा समूह का दावा है, कि उनके द्वारा सहारा- सेबी अकाउंट में 24 हजार करोड़ रुपए जमा करा दिए गए हैं. समूह का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पर टिका है. इधर देशभर में फैले सहारा इंडिया के ज्यादातर कार्यालयों में भुगतान नहीं होने के कारण ताले लटक चुके हैं, निवेशक और कार्यकर्ता सड़क पर आंदोलन को बाध्य हो चुके हैं. दर्जन भर एजेंटों ने आत्महत्या कर लिया है लाखों निवेशकों को गाढ़ी कमाई डूबने का डर सता रहा है.
ऐसे में पटना हाईकोर्ट की पहल से निवेशकों और एजेंटों में उम्मीद की आस जगी है. अब आठ मार्च को सेबी, आरबीआई, बिहार सरकार, ईओयू एवं कंपनी रजिस्ट्रार कोर्ट में क्या पक्ष रखती है ये महत्वपूर्ण होगा. हालांकि मामले में न्यायपालिका के दखल को एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है.