NATIONAL DESK सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की मौत के बाद अब समूह का मुखिया कौन होगा इसको लेकर मंथन का दौर शुरू हो चुका है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सहरा प्रमुख सुब्रत रॉय ने अपने निधन से ठीक एक सप्ताह पहले 7 नवंबर 2023 को अपने अस्पताल के बिस्तर से एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें समूह का सभी परिचालन नियंत्रण ओपी श्रीवास्तव को दिया है. बता दें कि ओपी श्रीवास्तव तीन दशकों से अधिक समय से उनके भरोसेमंद रहे थे.
दावा किया गया है कि सहारा प्रमुख द्वारा पत्र संदर्भ संख्या 001/101/4145, में लिखा गया है कि उनके लिए प्रशासनिक मामलों को देखना संभव नहीं है और “इसलिए, यह महसूस किया गया है कि कद और पद के व्यक्ति को सभी प्रशासनिक शक्तियां दी जानी चाहिए ताकि निर्णय लिए जा सकें.” तेजी से, और सभी दायित्वों/ प्रतिबद्धताओं को विशिष्ट समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना है. पत्र में कहा गया है, ”ऐसे में, यह निर्णय लिया गया है कि श्री ओपी श्रीवास्तव को यह अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी जाए. इस बात को बताने की ज़रूरत नहीं है कि श्री ओपी श्रीवास्तव हमारे परिवार के लिए एक अमूल्य संपत्ति रहे हैं और उनमें प्रशासनिक गतिविधियों में सबसे आगे रहने और त्वरित और उचित निर्णय लेने के अपनी क्षमता के लिए सदैव प्रशंसा प्राप्त की है. परिपत्र के आलोक में, श्रीवास्तव समूह के बॉस के रूप में उभरे हैं. हालांकि, कंपनी के सूत्रों ने कहा कि यह व्यवस्था अस्थायी है, और सुब्रत रॉय की धर्मपत्नी स्वपना रॉय अंततः समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक का पद संभालेंगी. हालांकि यहां एक समस्या है. श्रीमती रॉय मैसेडोनिया की नागरिक हैं. सुब्रत रॉय के बड़े बेटे सुशांतो भी ऐसे ही हैं. छोटा बेटा सीमांतो भारतीय नागरिक है. बेटे लंदन और दुबई में रहते हैं और प्रमोटरों के खिलाफ लंबित कई मामलों के मद्देनजर उन्होंने अपने पिता की कंपनी को संभालने के लिए भारत लौटने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. स्वप्ना जब अपने बीमार पति से मिलने यहां आई थी तो उन्हें भारत छोड़ने की इजाजत नहीं दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, स्वप्ना ने समूह की कमान संभालने और केस लड़ने का फैसला किया है. बता दें कि समूह संपत्ति के मामले में समृद्ध है लेकिन तरलता की कमी है. इसलिए पहली बड़ी लड़ाई सेबी के पास जमा 24,000 करोड़ रुपये को छुड़ाने की है. समूह का भाग्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि अदालतें इस मुद्दे पर कैसे फैसला सुनाती हैं.