खरसावां प्रखंड के सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र सोखानडीह गांव में ग्रामीण बच्चों के साथ गुरुकुल संस्था के द्वारा बाल अधिकार दिवस मनाया गया। बाल अधिकार दिवस पर गुरुकुल के निदेशक गजेंद्र नाथ चैहान के नेतृत्व में ग्रामीण बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही बच्चों को अपने अधिकारों से अवगत कराते हुए कहा कि शिक्षा समय की जरूरत है। साथ ही बाल अधिकारों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव समय की गहरी मांग है। बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए समग्र समाधान आधारित दृष्टोकण को अपनाने की जरूरत है। श्री चैहान ने कहा कि बच्चे के विकास में समग्र समाज की भूमिका जरूरी है। चूंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज से परे उसके विकास और जीवन की अपनी सीमाएं हैं। इसलिए अगर बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करना है तो समाज के हर एक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। इसके लिए आवश्यक है कि बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए देश को बाल अधिकार दिवस की ओर कदम बढ़ाना पडेगा और सांकेतिकता से अधिक सार्थक प्रयास किए जाने की अवश्यकता है। उन्होने कहा कि गरीबी परिवार की असक्षमता एक ऐसा कारण है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। बच्चे कभी बाल मजदूरी के लिए मजबूर होते हैं। तो कभी तस्करों के चंगुल में फंसकर मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार होते हैं। इस समस्या का समाधान भी हमारी वर्तमान व्यवस्था में उपलब्ध है। इस दौरान मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के पर्यवेक्षक उमेश उरांव, रवींद्र उरांव, सोनाक्षी उरांव, रागिनी उरांव, खुशी उरावं आदि बच्चें उपस्थित थें।
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