कहते हैं न कि जिसका कोई नहीं उसका ऊपरवाला होता है… ऐसा ही एक उदाहरण झारखंड की आर्थिक नगरी जमशेदपुर में देखने को मिलेगा.
आप चले आइए सोनारी, यहां एक संस्था जीविका के नाम से संचालित हो रहा है.जैसा कि संस्था के नाम से प्रतीत होता है कि इस संस्था का उद्देश्य लोगों को जीविका उपलब्ध कराना है, मगर रुकिए जरा गौर से देखिए यह संस्था किसे जीविका उपलब्ध करा रही है उसे जान लीजिए.
पहले जरा इन तस्वीरों को देखिए…. यहां दीपावली की तैयारी चल रही है… दिए बनाए जा रहे हैं.
एक से बढ़कर एक कलाकारी वो भी दिए में… ये दिए हजारों लोगों के घरों को रौशन करेंगे… चलिए अब इस खास जगह से आपका परिचय करा दें. दरअसल यह संस्थान एक मंदबुद्धि बच्चों के हुनर को तराशने का संस्थान है. इस संस्थान में वैसे बच्चों को हुनरमंद बनाया जाता है, जो मानसिक और शारीरिक रूप से अक्षम और विक्षिप्त हैं, मगर संस्थान के संचालक टाटा मोटर्स के रिटायर्ड अधिकारी अवतार सिंह की प्रतिबद्धता ने इन मंदबुद्धि और विक्षिप्त बच्चों को इतना हुनरमंद बना दिया है कि इन बच्चों ने अपनी प्रतिभा से आम हुनरमंदों को भी पीछे छोड़ दिया है.
एक से बढ़कर एक नक्काशी कर मिट्टी के दियों को खूबसूरत रूप दे रहे हैं.
इन दियों को लोगों को बेचा जाएगा और उससे हुए आमद को इन बच्चों के बीच वितरित किया जाएगा. आप साफ देख सकते हैं किस तरह मंदबुद्धि बच्चे अपनी हुनर को दिए के कैनवास पर उकेर रहे हैं और एक से बढ़कर एक नक्काशी कर अपना मनोबल बढ़ाने में जुटे हैं. बच्चे काफी खुश नजर आ रहे हैं. संस्थान के संचालक के अनुसार इन बच्चों को स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति योजना का लाभ दिलाया जा रहा है. इन्हें स्वदेशी हैंडीक्राफ्ट बनाने का काम सिखाया जाता है, और उससे होने वाले आय को इन लोगों के बीच वितरित किया जाता है.
सरकार से किसी तरह का कोई आर्थिक सहयोग संस्थान को नहीं मिल रहा है.
फिर भी बच्चों को हुनरमंद बनाया जा रहा है, ताकि वह समाज और परिवार का बोझ ना बन सके. हालांकि इसके पीछे काफी खतरे भी हैं. उन्होंने बताया, कि बच्चे जब शरारत पर उतर जाते हैं, तो कई बार उनकी जान जोखिम में भी आ जाती है. जिस पर निगरानी रखनी होती है.