रांची/ चांडिल: भारत सरकार के रक्षा राज्यमंत्री सह रांची सांसद संजय सेठ ने चांडिल डैम के विस्थापितों के मुद्दे को लेकर झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. मंत्री संजय सेठ ने बीते दिनों चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ाने तथा विस्थापित गांवों को जलमग्न करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. वहीं, पूरे प्रकरण की जांच करने एवं दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए विस्थापितों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की एक स्वतंत्र कमिटी बनाने को कहा है.
संजय सेठ ने अपने पत्र में कहा है कि रांची लोकसभा क्षेत्र के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में स्थित चांडिल डैम अभिशाप बन चुका है. जिस सोच के साथ इस डैम का निर्माण 40 वर्ष पूर्व आरंभ किया गया था, वह सोच तो समाप्त हुई ही है. अब यह डैम इस क्षेत्र के लोगों के लिए काल बनता जा रहा है. प्रत्येक वर्ष भीषण बारिश के कारण सैकड़ों विस्थापित गांव जलमग्न होते हैं. सैकड़ों की संख्या में लोगों के घरों में पानी भर जाता है. लोगों का जीवन दूभर हो जाता है. उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है, कि प्रत्येक वर्ष आने वाली इस आपदा की जानकारी होने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर इसकी कोई पूर्व तैयारी नहीं की जाती है. उसका परिणाम यह होता है कि हर साल क्षेत्र के लोग इस समस्या से जूझते हैं. बीमार पड़ते हैं, संक्रमण का खतरा झेलते हैं. यह उनकी नियति में शामिल हो चुका है.
मंत्री संजय सेठ ने पत्र में कहा है कि दुखद पहलू यह है कि परियोजना अधिकारी, जिला प्रशासन या राज्य सरकार का भी इस गंभीर मसले पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है. अभी बीते हफ्ते जब भारी बारिश होने का पूर्वानुमान था, उसके बावजूद सरकार और परियोजना से जुड़े अधिकारियों सहित जिला प्रशासन ने पूर्व में कोई कदम उठाना जरूरी नहीं समझा, जिससे डैम के जलस्तर बढ़ता गया और ईचागढ़, नीमडीह तथा कुकडू प्रखंड के कई गांव में डैम का पानी घुस गया, कई गांव जलमग्न हो गए. मंत्री ने बताया है कि डैम का जलस्तर 183 मीटर से अधिक हुआ, तब धीरे धीरे डैम का फाटक खोला गया. इसका परिणाम यह हुआ कि चांडिल अनुमंडल के दो दर्जन से अधिक गांव जलमग्न हो गए. इसके अलावे एक साथ डैम के 12 फाटक को खोल दिए जाने के कारण कपाली समेत जमशेदपुर में बाढ़ की स्थिति बन गई. यदि पूर्व में इसकी तैयारी की गई होती तो शायद इसी स्थिति नहीं आ पाती.
मंत्री ने मुख्य सचिव से कहा है कि वर्तमान समय में स्थिति यह है कि इस डैम के निर्माण से विस्थापित हुए तीन दर्जन से अधिक गांव कई दिनों से जलमग्न हैं. हजारों विस्थापित परिवार बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. 100 से अधिक कच्चे मकान ढह चुके हैं. सैकड़ों परिवार का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है. बच्चे और युवा स्कूल कॉलेज नहीं जा पा रहे हैं. लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं. घरों में चूल्हे तक जलना मुश्किल है. सूखे राशन पर लोग निर्भर हैं. यह निश्चित रूप से बहुत ही गंभीर मामला है, परंतु जिला प्रशासन डैम से संबंधित परियोजना अधिकारी और राज्य सरकार इस मामले में बिल्कुल भी गंभीरता नहीं दिखा रही है. मंत्री ने कहा है कि इस पूरे प्रकरण की जांच कराने हेतु विस्थापितों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की एक स्वतंत्र कमिटी बनाएं और इसकी जांच कर दोषियों पर अविलंब कार्रवाई सुनिश्चित करें. इसके साथ ही भविष्य में ऐसी घटना फिर से नहीं हो, इसकी पूर्व तैयारी करना सुनिश्चित करें.