रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को मंत्री आलमगीर आलम को कोर्ट में पेश किया. जहां कोर्ट ने निदेशालय को मंत्री से पूछताछ के लिए 6 दिनो की रिमांड दी है. रिमांड के लिए दिये गये आवेदन में ईडी ने आलमगीर के कार्यकाल में हुए टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता में मंत्री की संलिप्तता की जानकारी कोर्ट को दी.
ईडी ने कोर्ट को बताया कि इस केस से जुड़े गवाहों के बयान और अलग- अलग दिनों में हुई छापेमारी में मिले सबूत यह बताते हैं कि आलमगीर आलम की भूमिका महत्वपूर्ण और निर्णायक है. इसके अलावा टेंडर के कमीशन की आय को संगठित तरीके से एकत्र और वितरित किया जाता है और उसमें सबको हिस्सा दिया जाता है. पिछले दिनों रांची में संजीव लाल और जहांगीर के ठिकानों से बरामद किये गये 35 करोड़ आलमगीर आलम के ही हैं.
अब तक हुई जांच के दौरान यह पता चला है कि कमीशन के संग्रह और वितरण की पूरी प्रक्रिया ग्रामीण विकास विशेष प्रभाग और ग्रामीण कार्य विभाग में तैनात सहायक इंजीनियरों ने की थी. इसके अलावा यह भी पाया गया कि मंत्री आलमगीर आलम का हिस्सा आवंटित निविदा राशि का 1.5% था. एक मामले में यह भी पाया गया कि आलमगीर आलम को अपने हिस्से का 3 करोड़ रुपये का कमीशन मिला था, जो एक इंजीनियर द्वारा भेजा गया था. यह पैसा सितंबर 2022 में आलमगीर आलम को कैश मिला था. यह जानकारी इसी केस में जेल में बंद निलंबित इंजीनियर इन चीफ वीरेंद्र राम ने ईडी को दी है.