राजनगर: आसछे मोकोर दु दिन सबुर कोर गुड़पीठा टा जोगाड़ कोर.. कुछ ऐसे ही लोक गीतों की गूंज ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल सुनने को मिल रही है. मकर संक्रांति के बाद एक माह तक टुसु पर्व चलता है. इस दौरान हर गांवों में टुसू गीत सुनाने को मिलती है. यह झारखंड का सबसे बड़ा त्योहार है. हर कोई मकर की तैयारी में लगे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मकर की तैयारी एक महीने पहले से आरंभ होती है.
यह ऐसा त्योहार है, जिसमें घर के हर सदस्य कम से कम साल में एक बार नया वस्त्र अवश्य पहनते हैं. चाहे अमीर हो या गरीब अपने- अपने सक्षम के अनुसार पर्व को मनाते हैं. पर्व का मुख्य पकवान गुड़पीठा है. जो हर घरों में पर्व के दैरान बनाई जाती है. इस त्यौहार में गुड़ पीठा का विशेष महत्त्व है. गुड़ पीठा बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगी यानी देशी मशीन से अरवा चावल की गुंडी तैयार की जाती है. आजकल यह देशी मशीन लुप्तप्राय के कगार पर हैं. लोग आधुनिक मशीन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. परंतु आज भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है. वर्ष में एक बार मकर में तो जरूर डेंगी का प्रयोग किया जाता है. हालांकि अभी धान कूटने या अरवा चावल की गुंडी बनाने वाली यह देशी मशीन सबके घरों में नहीं है, इसलिए मकर आते ही गुंडी तैयार करने के लिए गांवों की महिलाओं की लाइन लग जाती है. भोर रात से गुंडी तैयार करने के लिए महिलाएं लाइन में लग जाती हैं. अभी से ही घरों में गुड़पीठा बनाना शुरू हो गया है.