राजनगर: राजनगर के स्थानीय किसान भवन में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत गीता ज्ञानयज्ञ कार्यक्रम का समापन हुआ. यह कार्यक्रम पिछले 21 जून से 27 जून तक चली. जिसमें प्रत्येक दिन संध्या 7 बजे से 9 बजे तक श्रध्देय अनुपानंद जी महाराज के द्वारा भक्तों को भागवत गीता पर प्रवचन दिया गया. कार्यक्रम के अंतिम दिन भागवत कथा श्रावण के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी.
समापन में राजनगर भाग 15 की जिला परिषद सदस्य मालती देवगम भी भागवत कथा श्रावण में सम्मिलित हुईं. उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। सात दिन तक चले इस श्रीमद् भागवत गीता ज्ञानयज्ञ कार्यक्रम में विभिन्न प्रसंगों पर श्रध्देय अनूप आनंद जी महाराज ने प्रवचन दिय.उन्होंने कहा कि भागवत कथा का श्रावण करना तीर्थ यात्रा से भी अधिक पुण्यकारी होता है. भागवत कथा के ज्ञान से जीवन की सभी समस्याओं के निवारण में व्यक्ति को सहायता मिलती है. भागवत कथा में जीवन की हर पहलुओं से निपटने का ज्ञान मिलता है. बस इन बातों को अपने जीवन में आत्मसात करने से सुख, शांति और समृद्धि की राह आसान हो जाती है. जीवन में जो भी निराशा है. उससे उभरने में भागवत गीता का ज्ञान सहायक सिद्ध होती है.भागवत कथा व सत्संग से मनुष्य को शांति मिलती है. इसलिए सभी को श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए. कथा वाचक अनुपानन्द जी महाराज ने कान्हा के बाल रुप को काफी मनमोहक ढंग से प्रस्तुत किया. इसके बाद महाराज जी ने एकादशी व्रत के महत्व को श्रद्धालुओं के बीच रखते हुए बताया कि शरीर को स्वास्थ्य रखने के लिये सप्ताह में एक दिन हम सभी को उपवास करना चाहिए. इसके बाद रुक्मिणी व कान्हा के विवाह समारोह का आयोजन हुआ. इसमें उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालु विवाह समारोह के दौरान खूब झूमे. कार्यक्रम को सफल बनाने में पिंटु राउत, दीपक महतो, अशोक मोदक, लखिन्द्र मुंडा, चन्द्रेश्वर मुर्मू, राखी देवी, पुनम राउत, कविता महतो, त्रिलोचन महतो, अशोक कुमार मोदक, श्याम दास, समीर राउत, फाल्गुनी प्रधान,शोभा दास, ज्योति देवी, सरस्वती देवी, ऊषा दत्ता आदि का सराहनीय योगदान रहा.