सरायकेला- खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड क्षेत्र के राजनगर पंचायत अंतर्गत राजनगर गांव के हो टोला के ग्रामीण वर्षो से एक अदद सड़क का इंतजार कर रहे हैं. टोला के एक छोर से मात्र सौ फीट तक सड़क बनी, बाकी लगभग तीन सौ फीट अधूरी छोड़ दी गई है. जिसमें बरसात में इतना अधिक जलजमाव हो जाता है कि कीचड़ की वजह से सड़क दलदल हो जाती है.
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पंचायत चुनाव का दूसरा कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, अभी तीसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार जारी है. 24 मई को यहां तीसरे चरण में मतदान होना है. प्रत्याशी अभी गांव गांव में जनता से वोट मांगने आ रहे हैं. ऐसे में राजनगर हो टोला के ग्रामीण पिछले पांच सालों मुखिया द्वारा किये गए कार्यों का हिसाब- किताब तो जरूर मांगेगे.
अगले 31 मई को मतगणना के बाद गांव की नई सरकार बनेगी, लेकिन क्या हो टोला के ग्रामीण पिछले दस वर्षों से ऐसे ही ठगे जाते रहेंगे ? पिछले दस सालों में किसी जनप्रतिनिधियों को राजनगर के हो टोला के इन गरीबों की समस्या नहीं दिखी. जहां दस साल में महज तीन फीट सड़क नहीं बन सकी, जबकि पंचायत जनप्रतिनिधियों को सरकार ने गांव के विकास के लिए करोड़ों रुपये का फंड उपलब्ध कराया. इसके बावजूद ग्रामीण गांव के अंदर कीचड़ और दलदल भरी सड़क से चलने पर मजबूर हैं. यह किसी भी जनप्रतिनिधि के लिए शर्म की बात होनी चाहिए है।
*मुखिया फंड का किया गया दुरुपयोग*
राजनगर पंचायत के राजनगर गांव में मुखिया के फंड के दुरुपयोग का एक उदाहरण आपको देखने को मिलेगा. बता दें कि जहां लोगों को सड़क की जरूरत सबसे ज्यादा है, सड़क वहां न बनाकर खेत की ओर जाने वाले कच्चे मार्ग में फंड का दुरुपयोग किया गया है. राजनगर हो टोला के ग्रामीणों का कहना है कि यहां जरूरत नहीं है. खेत की ओर जाने वाली पगडंडी का रास्ता है. जिस पर बैल बकरी जाते हैं. फंड का उपयोग यदि गांव के अंदर होता तो हमें कीचड़ से निजात मिल जाती. ग्रामीणों का कहना है कि पगडंडी को सड़क का रूप दे दिया गया है, लेकिन गांव के अंदर सड़क नहीं बनाई गई. बरसात और कीचड़ से बहुत दिक्कत होती है. सभी मिलकर मुरम वगैरह डालते हैं. कई बार सड़क के लिए कहा गया, लेकिन कोई सुनता नहीं है. सड़क के अलावा गांव में बनी सोलर टंकी भी काम नहीं करती. सिर्फ एक घंटा पानी निकलता है. भरी दोपहर में भी पानी नहीं चढ़ता. मजबूरन चापाकल चलाकर पानी लेना पड़ता है.
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