राजनगर: कल यानि रविवार दोपहर 2:00 बजे झारखंड भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले राजनगर ब्लॉक मैदान में आदिवासी मूलवासी द्वारा भोजपुरी, मगही, अंगिका को झारखंड में मान्यता दिए जाने के विरोध में जनसभा आहूत की गई है. जहां झारखंडियों के महजुटान होने की सम्भावना है. वहीं झारखंडी भाषा संघर्ष समिति का कहना है कि झारखंड में जिस तरह वर्तमान सरकार झारखंडी जनमानस के भाषा और संस्कृति के साथ खिलवाड़ कर रही है, अभी अगर झारखंडी नहीं जागे तो नेता अपने हित के लिए झारखंड को फिर से बेचने की पूरी तैयारी में है. हेमंत सरकार भोजपुरी, मगही और आंगिक को क्षेत्रीय भाषा की घोषणा कर रही है, इससे लगता है कि सरकार बाहरी लोगों के हाथों बिक चुकी है. स्थानीय नीति लागू किए बिना नौकरी में होने वाली नियोजन का पुरजोर विरोध करना ही होगा, नहीं तो आने वाली पीढ़ी को हम मुंह दिखाने के लायक नहीं बचेंगे. वहीं झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के नेतृत्वकर्ता कुलदेव महतो ने कहा कि 13 फरवरी को दोपहर 2 बजे राजनगर ब्लॉक मैदान में सभी विभिन्न समुदायों के आदिवासी मूलवासी शामिल होकर आगे की रणनीति को तय करेंगे. जिसमें झारखंडी विचारधारा रखने वाले जनमानस उपस्थित होकर अपने झारखंडी एकता का परिचय दें. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा हो या फिर भारतीय जनता पार्टी, दोनों ही राजनीतिक दलों ने अपने निजी हित के लिए हमेशा से झारखंडियोंं के विचारधारा के साथ खिलवाड़ किया है. इस बैठक में किसी भी राजनीतिक दल का झंडा उपयोग में नहीं होगा. ये पार्टी की नही माटी की लड़ाई है. इस बैठक में कैसे हम अपनी भाषा, संस्कृति एवं सभ्यता को बचाएं और इस आंदोलन को किस तरह से झारखंड में एक विशाल रूप दिया जाए, इस पर मंथन किया जाएगा, इसलिए सभी झारखंडी आदिवासी मूलवासी कल यानी रविवार दोपहर 2:00 महजुटान में शामिल होकर अपने हक अधिकार की लड़ाई में एकत्रित हो.


