राजनगर (Pitambar Soy) सरायकेला- खरसावां जिला के राजनगर थाना क्षेत्र के कटंगा पंचायत के उपरशिला गांव का सीआरपीएफ 197 बटालियन का जवान बादल मुर्मू 6 जनवरी से चाईबासा कैंप से ड्यूटी के समय से ही लापता है, लेकिन पुलिस को 50 दिनों के बात भी कोई सुराग नहीं मिला है. बादल मुर्मू अपने साथ यामाहा एफजेड बाइक (जेएच 06 जे 4115) और मोबाइल भी लेकर गया है.
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वहीं डिपार्टमेंट ने लापता जवान को भगौड़ा घोषित करते हुए मुफ्फसिल थाना में गुमशुदगी का मामला दर्ज कर अपना पल्ला झाड़ते हुए पुलिस पर ढूंढने की जिम्मेदारी थोप दी है. स्वजन चाईबासा एसपी, डीआईजी, आईजी, डीजी तक को बादल मुर्मू के लापता होने की लिखित जानकारी देते हुए ढूंढ निकालने की गुहार लगा थक चुके हैं. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान का रहस्यमयी ढंग से गायब होना परिजनों के समझ के बाहर है. परिजनों को पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा है.
पत्नी का है रो-रोकर बुरा हाल
बादल मुर्मू की पत्नी झानो मुर्मू का रो- रोकर बुरा हाल है. उसका एक तीन साल का बच्चा है. बादल कहीं किसी नक्सली के कब्जे में तो नहीं है. एक पत्नी और उसके परिवार को ये चिंता सता रही है.
पत्नी ने की सीबीआई जांच की मांग
बादल की पत्नी झानो मुर्मू ने सरकार सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने डिपार्टमेंट पर भी मामले को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया है. पति है भी या नहीं. बिना सत्यापन किये ही सीआरपीएफ के अधिकारियों ने उसके समान को घर भेजने और एक विधवा को मिलने वाली प्रक्रिया जैसे पेंशन आदि छह महीने बाद से मिलने लागू करने का पत्र थमा दिया है. झानो ने कहा कि उसकी आखिरी बार 5 जनवरी की शाम को बात हुई थी. उसने छह तारीख को छुट्टी लेकर घर आने की बात कही थी. उसके बाद फोन स्विच ऑफ बता रहा है. 7 तारीख को कैंप के अधिकारी हमारे घर आये थे कि बादल मुर्मू घर आया है क्या.
बाईट
झानो मुर्मू (पत्नी)
बीएसएफ में है बादल का बड़ा भाई
बादल मुर्मू के बड़े भाई मानू मुर्मू बीएसएफ में हैं. वह भी छुट्टी लेकर पिछले डेढ़ महीने से भाई को ढूंढ रहे हैं. मानू का कहना है कि ड्यूटी पर सरजोमबुरु जंगल भेजा भेजा गया था. ऐसा मेरे भाई ने एक पीसीआर में काम करने वाले उसके दोस्त के साथ आख़िरी बार बातचीत में कहा है. जिसका ऑडियो रिकार्डिंग हमारे पास है. लेकिन कैंप में उनका इन आउट का भी कोई जिक्र नहीं है. कोबरा बटालियन में रहते वह आईईडी ब्लास्ट का शिकार हुआ था. जिसके बाद सीआरपीएफ में चाईबासा कैंप में उसे हो भाषा का जानकार होने के चलते जासूसी का काम सौंपा गया था. हमें आशंका है कि कहीं वे नक्सलियों के कब्जे में तो नहीं हैं. उसने डिपार्टमेंट और पुलिस से ढूंढने की मांग की है.
6 जनवरी को भगिना के घर गया था बादल
बादल का भगिना विकास राज बेसरा का कहना है कि 6 जनवरी को मामा मेरा घर चाईबासा आये थे. उसके बाद किसी अधिकारी का फोन आया. उसने उसे सरजोमबुरु की तरफ जाकर आने को बोला. इसके बाद डिपार्टमेंट की ओर से मामा की बाइक में 3 लीटर तेल डालकर वह निकला. हमने साथ में ही गूगल मैप पर सरजोमबुरु जाने का रास्ता भी ढूंढा. इसके बाद मामा चले गये. फिर उनका फोन नहीं लगा. 7 तारीख को मैं खुद चाईबासा कैंप गया था. वहां कोई स्पष्ट जवाब मिला.
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Reporter for Industrial Area Adityapur