राजनगर/ Deepak Mahato पिछले 12 वर्षों से बंद पड़े महेशकुदर आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 124 के दुबारा खोलने को लेकर सोमवार को आंगनबाड़ी केंद्र के समीप स्कूल में ग्रामीणों के साथ बैठक रखी गई थी.
जहां महिला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी राजनगर सुप्रिया शर्मा, पर्यवेक्षिका अमिता कुजूर, तुमुंग पंचायत की मुखिया सुनीति मुर्मू, उप मुखिया एवं महेशकुदर प्रधान टोला के ग्रामीण महिला पुरूष उपस्थित थे. वहीं 12 वर्ष पहले महेशकुदर आंगनबाड़ी की सेविका रही शेफाली मुर्मू भी उपस्थित थी.
बैठक में सीडीपीओ ने ग्रामीणों के समक्ष महेशकुदर आंगनबाड़ी केंद्र को दुबारा सुचारू रूप से खोलने की बात कही, लेकिन ग्रामीणों ने साफ इनकार करते हुए कहा कि सेविका शेफाली मुर्मू को आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने नहीं दिया जाएगा, उनकी जगह अन्य सेविका का चयन किया किये जाने की मांग की.
बता दें कि महेशकुदर आंगनबाड़ी केंद्र का मामला पिछले 12 वर्षों से कोर्ट में चल रहा था. जिसमे शेफाली मुर्मू को न्यायलय से क्लीन चिट मिल गया. जिसके बाद उन्हें दुबारा महेशकुदर आंगनबाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने का आदेश भी प्राप्त हुआ, इसके बावजूद ग्रामीण शेफाली मुर्मू का विरोध करते रहे.
जिस कारण सोमवार को ग्रामीणों के साथ वार्ता तय की गई थी. परंतु इस बार भी ग्रामीण शेफाली के विरोध में अड़े रहे. अन्ततः कोई उचित फैसला नही हो पाया. ग्रामीणों के साथ वार्ता असफल होने से सीडीपीओ और अन्य पदाधिकारीयों को निराश लौटना पड़ा. इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका शेफाली मुर्मू ने बताया कि ग्रामीणों ने उनका तीन बार समाजिक बहिष्कार किया था. मुझे और मेरे परिवार को कई बार प्रताड़ित किया गया. यहां तक कि मुझे अपने परिवार संग गांव छोड़ कर जाना पड़ा. कई वर्षों तक कोर्ट में सुनवाई चली. और अब कोर्ट में डिग्री भी हो गई. कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला सुनाया, मेरी जीत हुई. तब भी ग्रामीण बहिष्कार कर रहे है, लेकिन मुझे उम्मीद है सीडीपीओ और जिला के उपायुक्त मेरे साथ अन्याय नही होने देंगे, और मुझे न्याय जरूर मिलेगा.
बाईट
शेफाली मुर्मू