RAJNAGAR सरायकेला जिले के राजनगर प्रखंड क्षेत्र के गेंगेरुली में रविवार को झारखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय मालती किचिंगिया महतो के स्मृति सभा में आयोजित भाषा संस्कृति आंदोलन में विशाल संख्या में लोग जुटे. कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड आंदोलनकारी अनिल महतो ने किया.
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जब तक झारखंड में 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू नहीं होगा आंदोलन नहीं रुकेगा. पूरे कोल्हान और झारखंड में अब झारखंडी आदिवासी मूलवासी समझ चुके हैं अब यहां बाहरियों का राज कायम नहीं होने दिया जाएगा. झारखंड की हेमंत सरकार जल्द से जल्द स्थानीय लागू करें नहीं तो झारखंड की जनता अब समझ चुकी हैं, उन्हें उखाड़ फेंकने में देर नहीं लगेगी.
इस मौके पर बतौर अतिथि पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी एवं छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो उपस्थित रहे. कृष्णा मार्डी ने लोगों से एक और उलगुलान के लिए संगठित होने की अपील की. वहीं छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि कोल्हान की धरती त्याग व बलिदान की धरती है. सरायकेला और सिल्ली का आंदोलन से काफी पुराना नाता है. उन्होंने अपने जोरदार भाषण से लोगों में जोश भरते हुए कहा कि झारखंड में आज अपनी अस्तित्व लिए अपनी भाषा संस्कृति को बचाना बहुत जरूरी है. आज यदि 1932 का खतियान लागू नहीं होगा, तो बाहरी हमें धीरे- धीरे भाषाई तौर पर और हमारे नौकरी पेशा की हिस्सेदारी लूट लेंगे. हमारी भावी पीढ़ी को यहां नौकरी- पेशा मिले यहां पर हमारे आदिवासी मूल निवासियों का राज स्थापित हो. इसके लिए हमें एक होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है. हम एकजुट होकर सरकार को स्थानीय नीति बनाने पर दबाव बना होगा अन्यथा इस सरकार को उखाड़ देंगे. इस मौके पर उर्मिला महतो के झूमर संगीत में लोग जमकर झूमे. साथ ही अन्य कई कलाकारों ने भी अपनी भाषा संस्कृति के लिए झूमर संगीत प्रस्तुत किया. इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य आयोजन अनिल कुमार महतो ने सभी कलाकारों को एवं अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर कर सम्मानित किया.