राजनगर: आदिवासी हो समाज महासभा की ओर से हो भाषा ( वारंगक्षिति लिपि) को भरतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने लिए को लेकर गांव गांव में ग्रामसभा का आयोजन किया जा रहा है. इस बावत आदिवासी हो समाज महासभा के राजनगर प्रखंड के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष पालिश पाड़ेया ने रविवार को राजनगर में पत्रकारों से कहा कि आदिवासी हो समाज का अपना लिपि है, पहचान है. पर्व त्योहार और संस्कृति है.
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झारखंड में द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है. लेकिन स्कूलों में सरकार की ओर से अभी भी वारंगक्षिति लिपि से पढ़ाई लिखाई न होना दुर्भाग्य की बात है. पालिश ने कहा की कोल्हान के हर हो बहुल गांवों में ग्रामसभा का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हो समुदाय अपने हक अधिकार की लड़ाई के लिए जागे आये. हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए वृहत आंदोलन के साथ साथ कानूनी लड़ाई की भी जरूरत है. आठवीं अनुसूची में शामिल होकर ही देश दुनिया में हो भाषा को उचित मान सम्मान और पहचान मिल सकेगी. इस दौरान सुनील पाड़ेया आदि उपस्थित थे.
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