राजनगर: आदिवासी गौड़ समाज ने खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की है. आदिवासी गौड़ समाज के केंद्रीय अध्यक्ष घनशयाम गोप की अगुवाई में रविवार को समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री चम्पई सोरेन से उनके आवास पर मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधि मंडल ने मंत्री के साथ करीब आधे घन्टे तक इस विषय पर चर्चा की. प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के जाति सूची 27 में अंकित उपजाति गौड़ (मगदा गौड़, महाकुड़, गोप, ग्वाला) जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की. प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को बताया कि गौड़ जाति के लोग आदिकाल से पश्चिमी सिहभूम, सरायकेला- खरसावां, पूर्वी सिहभूम के गामीण क्षेत्रों में जनजाति लोगों के साथ रहते हैं. गौड़ समाज के लोग आदिकाल से ही प्राकृतिक पूजक हैं, जो सरना धर्म को मानते हैं. इस जाति के लोग विलकिंशन रूल मुंडा व मानकी स्वशासन व्यवस्था को मानते हैं. इसके साथ अनुसूचित जनजाति का ही गौड़ जाति भी एक अभिन्न अंग है. केंद्र सरकार ने 14/6/1978 के अलोक में वर्तमान झारखंड राज्य के छोटानागपुर प्रमंडल में निवास करने वाले गौड़ जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में ही रखने का निर्देश दिया था. मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा कि गौड़ जाति में आदिम विशेषताएं एवं विशिषट गुण निहित है. मगदा गौड़ समाज की यह काफी पुरानी मांग है. कहा कि गौड़ जाति को राज्य की जाति सूची में सूचीबद्ध करने का प्रयास करेंगे. मौके पर मोतीलाल गौड़, घनशयाम गोप, अनु गौड़, गंगाराम गोप, चंदमोहन गौड़, चुगरा गोप, पधान गोप, सिकुर गोप आदि शामिल थे.
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