राजनगर: झारखंड आंदोलनकारी अनिल कुमार महतो ने हेमन्त सरकार को अपना चुनावी वादा याद दिलाते हुए कहा कि हेमन्त में हिम्मत है, तो अविलंब 1932 खतियान को आधार मानते हुए झारखंड में स्थानीय नीति लागू करे नहीं तो गद्दी छोड़े. उन्होंने मंगलवार को राजनगर में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा कि चुनाव के समय हेमंत सोरेन कहते थे, सरकार बनी तो 1932 का खतियान लागू करते हुए स्थानीय नीति बनाएंगे. परन्तु दो वर्ष बीतने के बाद भी कुछ नहीं किया. उल्टे भोजपुरी, मगही और उर्दू को क्षेत्रीय भाषा में शामिल कर झारखण्डियों के भाषा पर अतिक्रमण करने का काम कर रहे हैं. जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भोजपुरी को तो बिहार में भी मान्यता नहीं मिली है, जहां सबसे अधिक बोली जाती है, फिर झारखंड में क्यों. अनिल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कुड़मी जाति को एसटी में शामिल न कर कुड़मी समुदाय की उपेक्षा की. चाहे भाजपा हो या झामुमो कुड़मी जाति को सिर्फ वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करती है. झारखंड में भोजपुरी और मगही भाषा के खिलाफ सबसे ज्यादा कुड़मी ही लड़ रही है. झारखंड अलग राज्य के लिए भी कुडमियों ने बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया था. अर्जुन मुंडा व हेमन्त सोरेन एक ही थाली के चट्टे- बट्टे हैं. इधर हेमन्त भाषा आंदोलन में कुड़मी को उलझाये रखना चाहती है, उधर राज्यसभा में अर्जुन मुंडा 10 समुदाय को एसटी में शामिल करने का बिल पेश कर दिया, ताकि कुडमियों का सारा ध्यान भाषा आंदोलन कर केंद्रित रहे. एसटी में शामिल करने की मांग ठंडे बस्ते में चली जाए. परंतु झारखंड के कुड़मी समुदाय अब समझ चुके हैं, और अब इसको लेकर जोरदार आंदोलन करंगे.
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बाईट- आंदोलनकारी अनिल महतो
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