राजनगर/ Pitambar Soy रविवार को राजनगर के बीजाडीह एवं धुरीपदा गांव में हो समुदाय की बैठक हुई. जिसमें मुख्य रूप से उपस्थित सरना फ़िल्म के निर्माता निर्देशक व समाजसेवी सावन सोय ने कहा कि आदिवासी हो समुदाय पूरे भारतवर्ष में फैले हुए हैं. मुख्यतः झारखंड, उड़ीसा, बिहार, बंगाल, असम, छतीसगढ़, दिल्ली जैसे राज्यों में हो समुदाय की अच्छी खासी जनसंख्या है. इसके बाद भी हो समुदाय उपेक्षित हैं.
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हो भाषा का अपना वरंगक्षिति लिपि है. दुनिया में छह हजार से भी अधिकी बोली भाषा है. जिसमें सिर्फ लगभग दो सौ ऐसी भाषा है जिसकी अपनी खुद की लिपि है. वरंगक्षिति लिपि हो समुदाय की पहचान है. इसलिए हो भाषा को संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए. हो भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर आदिवासी हो समुदाय वर्षो से मांग कर रहे हैं. परंतु अभी तक सरकार इस कोर कोई ध्यान नहीं दे रही.
आदिवासी हो समुदाय अभी सभी राज्यों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पोस्ट कार्ड के माध्यम से मांग पत्र प्रेषित कर रहे हैं. इस बार हो भाषा को 8 वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए 21 अगस्त को दिल्ली के जंतर- मंतर में आयोजित धरना- प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोगों ने पारंपरिक वाद्ययंत्र के साथ शामिल होने का निर्णय लिया.
मौके पर मुखिया मोटाय मेलगांडी, सुशील सुंडी, मनोज संवैया, राजेश सुंडी, मोतीलाल सुंडी, रतन सुंडी, राजु सुडी, नानिका लुगुन, केशर सामड, लकींद्र मुदुंइया, मधुसुदन चांपीया, डुरू पुरती, रामसिंह चंपिया, पोगरो पुरती आदि उपस्थित थे.
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