राजनगर/ Dipak Mahato : समय शाम के 5 बजे. इस वक्त राजनगर सीएचसी के इमरजेंसी नर्सिंग स्टेशन प्रवेश करते ही कुछ मरीज डॉक्टरों के इंतजार में दिख गए पर ना तो डॉक्टर दिखे और ना ही नर्स. सन्नाटा इस कदर छाया हुआ था कि इमरजेंसी नर्सिंग स्टेशन में लगा पंखा दीवार में लगी कैलेंडर को उड़ा रही थी. बाहर एक पेशेंट इलाज के डॉक्टर के इंतजार में बैठा राह तक रहा था कि कब डॉक्टर साहब आयेंगे और उनका इलाज करेंगे. खैर डॉक्टर साहब तो नदारद रहे. इस मामले में जब चिकित्सा पदाधिकारी को फ़ोन कर जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाकर ऐसे काट दिया जैसे कोई प्रेमिका अपने प्रेमी से नाराज होकर फोन काट देती है.
इलाज कराने आए मरीज के परिजन से बात करने पर पता चला कि वे लोग बुधवार रात क़रीब 10 बजे आए थे तब भी अस्पताल में कोई नहीं था. वे लोग मरीज को लेकर चाईबासा चले गए, वहाँ उनको इलाज हुआ जिसके बाद उनको डिस्चार्ज करा कर केस करने थाना गए. आज मरीज को फिर दर्द उठा तो दोबारा अस्पताल ले कर आए, लेकिन यहाँ अकार आधा घंटा से ऊपर हो चुका है अस्पताल में में कोई नहीं है, इमरजेंसी नर्सिंग स्टेशन की कुर्सी ख़ाली पड़ी हुई है.
हमारे जाँच पड़ताल की खबर मिलते ही 2 नर्स आनन फ़ानन में पहुंची. उनका कहना था की वे लोग सभी नर्सिंग स्टेशन में बैठकर परेशान हो गये थे इसलिए हॉस्पिटल के एडमिन ऑफिस के सामने के आम पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे. जब हमने पेशेंट के विषय में बोला तो उनका कहना था कि पेशेंट का इलाज हो चुका है जबकि पेशेंट के परिवार ने ये साफ़ किए की इलाज बीते दिन चाईबासा में इलाज हुआ था. सरकार राज्य के लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य के हर संभव परियास करने के बाद इस तरह की दुर्दशा उनकी मंशा पर सवाल खड़ी करती है.