राजनगर : राजनगर प्रखण्ड के नामीबेड़ा में आदिवासी सेंगेल अभियान की बैठक राजनगर सेंगेल ब्लॉक असिस्टेंट बीडीओ पोदाम टुडू की अध्यक्षता में हुई. बैठक में मुख्य आतिथ के रूप में सेंगेल दिशोम परगना सोनाराम सोरेन एवं सेंगेल पोनोत परगना सुगनाथ हेंब्रम उपस्थित रहे. बैठक में सोनाराम सोरेन ने झारखण्ड सरकार के विफलता के बारे में बताया और आदिवासी के ऊपर मंडराते खतरों से अवगत करवाया और बचाने का रास्ता भी बताया. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार संताली को प्रथम राजभाषा का दर्जा नहीं देती है, तो गद्दी छोड़े। इस मुद्दे पर आदिवासी सेंगेल अभियान सोमवार 17 जुलाई को झारखंड के सभी ज़िला मुख्यालयों में सरकार का पुतला दहन किया जाएगा. इसके बाद 31 जुलाई को सभी ज़िला मुख्यालयों में धरना- प्रदर्शन कर राज्यपाल के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
बताया गया कि पुतला दहन, धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन के माध्यम से हेमंत सरकार से निम्न सवालों का जवाब मांगा जाएगा. अब तक अनुच्छेद 345 के तहत संताली भाषा को झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा क्यों नहीं दिया. क्यों जेएमएम के एमएलए/एमपी ओलचिकी लिपि का विरोध करते हैं. क्यों मरंग बुरू को जैनों के हाथों बेच दिया. क्यों सरना धर्म कोड की जगह “सरना आदिवासी धर्म कोड” बिल पास कर बिना राज्यपाल के हस्ताक्षर के दिल्ली भेजा और जनता को ठगा? क्यों कुर्मी महतो को आदिवासी बनाने का अनुशंसा किया है. क्यों सीएनटी/ एसपीटी कानून का गला घोंट कर शहरी विकास के नाम पर लैंड पूल बिल पास किया है? क्यों वीर शहीद सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की संदिग्ध हत्या के मामले पर वोट बैंक की लोभ लालच में सीबीआई जांच नहीं किया?
बैठक में यह भी सवाल उठाया गया कि जब स्थानीयता लागू नहीं कर सकते तो प्रखंडवार नियोजन नीति क्योँ लागू नहीं करते? क्यों आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार की पहल करने की बजाय परंपरा के नाम से नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, महिला विरोधी मानसिकता, वोट को हँडिया दारु चखना रुपयों में खरीद बिक्री आदि को बढ़ावा देता है? महान बीर शहीद सिदो मुर्मू और बिरसा मुंडा के वंशजों के लिए दो ट्र्स्ट का गठन कर प्रत्येक को 100 करोड़ रुपये का अंश पूंजी अबतक क्योँ नहीं प्रदान किया ? इस मुद्दा को ले कर झारखंड में सेंगेल कारो या मारो तर्ज पर आंदोलन करेगा.