राजनगर/ Pitambar Soy राजनगर के रोला चौक में आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं के साथ हुए जघन्य अपराध के विरोध में मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह का पुतला दहन किया गया. इसका नेतृत्व राजनगर सेंगेल परगना फागू मुर्मू ने किया. पुतला दहन में मौजूद झारखंड पोनोत सेंगेल परगना सुगनाथ हेंम्ब्रोम ने कहा कि मणिपुर में 4 मई 2023 की वीडियो द्वारा जो कुछ देश के सामने अभी आया है. वह दिल को दहलाने वाला है, पीड़ादायक है, मानवता को शर्मसार करता है. इसके लिए और अबतक जारी हिंसा के लिए राज्य सरकार को दोषी मानना गलत नहीं होगा. अतएव हमारी मांग है मणिपुर सरकार को अविलंब बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए. मणिपुर हिंसा के पूरे प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए.
उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा के पीछे बहुसंख्यक ऊंची मैतेई जाति का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समर्थन हो सकता है. मुख्यमंत्री भी इसी जाति से हैं और यह जाति अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने को व्यग्र है, जिससे पहले से अनुसूचित जनजाति सूची (ST) में शामिल कुकी एवं अन्य जातियों के समक्ष मरता क्या नहीं करता वाली स्थिति बना दी गई है. एसटी की मांग के लिए हुए प्रदर्शन के दौरान पूर्व में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में 24 नवंबर 2007 को एक आदिवासी महिला लक्ष्मी उरांव को भी नंगा कर सारे आम अपमानित किया गया था. उस मामले की अब तक न कोई जांच हुई न अपराधियों को सजा. यह मामला भी असम के झारखंडी आदिवासियों द्वारा लगभग 10 हजार की संख्या में असम की राजधानी गुवाहाटी के बेलतोला में एक जनसभा और रैली के दौरान हुई थी. इसके पीछे असम सरकार के हाथ होने का शंका है. इसकी भी सीबीआई जांच अनिवार्य है.
सुगनाथ हेंम्ब्रोम ने कहा कि मणिपुर हिंसा के पीछे असली आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी का मामला छिपा हुआ है. इसे देश को गंभीरता से समझने की जरूरत है. अन्यथा आदिवासियों का नरसंहार निश्चित है। आदिवासियों को प्रदत संवैधानिक आरक्षण के बगैर उन्हें न्याय, सुरक्षा और समानता नहीं मिल सकती है. मगर यदि कतिपय ऊंची जातियां और बड़ी संख्या वाली जातियां खुद अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा हड़प कर आदिवासी आरक्षण के कवच में घुसपैठ करेंगे तो असली आदिवासियों का नरसंहार निश्चित है. फिलवक्त मणिपुर हिंसा को शांत करने के लिए अन्य सभी उपयोगी उपायों पर त्वरित क्रियान्वयन की जाय.
उन्होंने कहा कि आदिवासी सेंगेल अभियान की मांग है किसी भी नई जाति को एसटी का दर्जा देने की प्रक्रिया को अगले 30 वर्षों तक बंद रखा जाए. साथ ही किसी भी नई जाति को एसटी में शामिल करने के पूर्व यह गारंटी करना जरूरी है कि पूर्व से शामिल असली एसटी का अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी आदि अक्षुण रखा जा सके.पुतला दहन कार्यक्रम में राजनगर सेंगेल युवा अध्यक्ष ईशान्त मुर्मू, मोठाय बास्के पूर्व जिलाध्यक्ष सेंगेल, सरायकेला जिला सेंगेल महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमती हेंम्ब्रोम, कान्दरू मुर्मू सेंगेल माझी बिजाडीह ,संखो टुडू राजनगर सेंगेल बीडीओ, पोदाम टुडू सेंगेल असिस्टेंड बीडीओ, मालती हेंम्ब्रोम, महेश मुर्मू ,खेलाराम टुडू, राजकिशोर टुडू, सुनील टुडू, सोनातन मुर्मू, धानो टुडू,सुखदेव टुडू,धानो मुर्मू,नारसिंह टुडू राजाराम टुडू,जयसेन मुर्मू, डॉक्टर सुन्नी समेत अनेक महिला-पुरुष उपस्थित थे.