रांची: आईएएस पूजा सिंघल प्रकरण में राज्य की वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार और भाजपा आमने- सामने हैं. जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूजा सिंघल को पूर्व की रघुवर दास की सरकार पर भ्रष्टाचार के मामले में क्लीन चिट देने का आरोप लगाया है वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनके परिजन और करीबियों पर एकबार फिर से हमला बोला है.
गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने 2009 के एक मामले को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में रघुवर दास ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी और उनके अन्य परिवार वालों ने झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों में अपने आप को उसी संबंधित थाने का निवासी बताते हुए सैकड़ों एकड़ आदिवासी भूमि का क्रय किया है.
रघुवर दास ने कहा कि 2009 में रांची के महत्वपूर्ण इलाके अरगोड़ा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन, जो कि ओडिशा राज्य की आदिवासी श्रेणी की महिला हैं, ने दो सेल डीड द्वारा क्रमशः 13 कट्ठा 14 छटाक एवं 17 कट्ठा 8 छटाक आदिवासी भूमि क्रय किया. दोनों डीड में उन्होंने पति हेमंत सोरेन का नाम नहीं लिखकर अपने पिता अंपा मांझी का नाम दर्शाया.
अपनी जाति संथाल बताते हुए अपना निवास स्थान हरमू कालोनी, थाना अरगोड़ा, जिला रांची दिखाया. रघुवर दास ने कहा कि नियमानुसार किसी अन्य राज्य के आरक्षित श्रेणी का व्यक्ति झारखंड राज्य में आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता है. सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार किसी आदिवासी भूमि की खरीद के लिए उसे विक्रेता के ही थाना क्षेत्र का होना भी आवश्यक है, जो दोनों शर्तें कल्पना मुर्मू नहीं पूरा कर रही थीं, इसलिए उनके द्वारा झारखंड राज्य में आरक्षित श्रेणी और अरगोड़ा थाना क्षेत्र का निवासी बताया जाना दोनों गलत है. पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इससे बढ़कर भी जो बड़ी अनियमितता कल्पना मुर्मू सोरेन द्वारा की गई वह यह कि उनके द्वारा पहली डीड जो 13 कट्ठा 14 छटाक जमीन के संबंध में है, क्रय के समय भूमि का सरकारी मूल्य 34 लाख 93 हजार रुपये दिखाया गया, परंतु विक्रय की राशि मात्र 4,16,000 चार लाख 16 हजार रुपये बताया गया. उसी तरह दूसरी डीड जो 17 कट्ठा 8 छटाक जमीन के संबंध में है, क्रय के क्रम में भूमि का सरकारी मूल्य 44 लाख रुपये दिखाया गया, परंतु विक्रय की राशि मात्र 5,25,000 रुपये बताया गया. इससे जाहिर है कि या तो विक्रेता को वास्तविक विक्रय मूल्य जो कि रुपये 78 लाख 93 हजार रुपये होता था, के स्थान पर मात्र 9 लाख 41 हजार 250 रुपये का भुगतान किया गया अथवा वास्तविक लेनदेन या भूमि के बाजार मूल्य जो कि करोड़ों रुपये में होगी, को छुपाने की नीयत से भूमि का क्रय मूल्य नाम मात्र दिखाया गया. दोनों परिस्थितियों में संबंधित भूमि खंडों की खरीद का मामला छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन और मनी लॉन्ड्रिंग का प्रतीत होता है.
रघुवर दास ने यह भी स्पष्ट किया कि सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के अंतर्गत उपरोक्त प्रकार की गैर वाजिब खरीद बिक्री पोषणीय नहीं है और इसलिए संबंधित विक्रेताओं बिरसा उरांव तथा राजू उरांव इत्यादि ने इस संबंध में शिकायत भी की थी. इसके साथ उपरोक्त के संबंध में राम कुमार पाहन तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति मोर्चा सह विधायक भारतीय जनता पार्टी एवं अन्य द्वारा संयुक्त हस्ताक्षरित जन आवेदन के जरिए भी शिकायत की गई थी. तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में उपरोक्त मामलों को संज्ञान में लेते हुए प्रमंडलीय आयुक्त दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल रांची के कार्यालय आदेश ज्ञापांक 1593 दिनांक 22.06.2018 द्वारा एक जांच दल का गठन किया गया था. जांच दल ने भी अपना संयुक्त जांच प्रतिवेदन राज्य सरकार को समर्पित किया, जिससे भी उपरोक्त गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई.
तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही उपरोक्त संबंधित मामले में उपायुक्त रांची को मामले पर सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने का आदेश दे दिया गया था.
जानकारी यह भी है कि दिनांक 02.07.2019 को अपर समाहर्ता न्यायालय, रांची द्वारा संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दी गई थी. उसके उपरांत अनेक तिथियों पर मामले पर कार्यवाही भी की गई थी, परंतु दिसंबर 2019 के चुनाव के बाद झामुमो- कांग्रेस की सरकार काबिज हो गई. दिसंबर 2019 में हेमंत सोरेन स्वयं सरकार के मुखिया बन गए और उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उपरोक्त मामले को अपने पक्ष में करवा लिया और करोड़ों की रकम का निवेश करते हुए उपरोक्त भूमि खंड पर भव्य भवनों का निर्माण कराया गया है, जो सोहराई भवन के नाम से विख्यात है.
रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी और उनके अन्य परिवार के सदस्यों द्वारा झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों में इसी प्रकार से अपने आप को उसी संबंधित थाने का निवासी बताते हुए भारी मात्रा में सैकड़ों एकड़ आदिवासी भूमि का क्रय किए जाने की सूचना मिल रही है. जिसकी विस्तृत जांच कराए जाने की आवश्यकता है, ताकि यह पता चल सके कि इन सभी मामलों में सीएनटी एक्ट के प्रावधानों का धड़ल्ले से उल्लंघन किया गया है और यह जांच इसलिए भी आवश्यक है कि इस प्रकार के खरीद- बिक्री के जरिए भ्रष्टाचार की कमाई की मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता. इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास में गत 25 अप्रैल को उनके द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी जिक्र किया. कहा, हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन एवं उनकी रिश्तेदार सरला मुर्मू द्वारा सोहराई लाइवस्टोक फर्म प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का गठन 29.08.2020 को किया गया. उस कंपनी में कल्पना मुर्मू सोरेन 93.33% शेयर की मालकिन हैं तथा चेयरमैन/निदेशक का पद संभाल रही हैं. उक्त कंपनी में उनकी रिश्तेदार सरला मुर्मू 6.6% शेयर की भागीदार हैं.
रघुवर दास ने कहा कि हेमंत सोरेन अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में पिछले वर्ष यहां के आदिवासी एवं जनजाति समाज के उत्थान के लिए सरकार द्वारा सहायता एवं सहयोग देने का वादा किया गया था. जिससे जनजातीय समाज के लोगों को भी उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. उक्त घोषणा के पश्चात हेमंत सोरेन द्वारा एक मात्र संस्थान सोहराई लाइवस्टोक फर्म प्राइवेट लिमिटेड को उद्योग विकास करने हेतु रांची के औद्योगिक क्षेत्र में जमीन का आवंटन किया गया. उद्योग विभाग का मंत्रालय हेमंत सोरेन द्वारा संभाला जा रहा है. रघुवर दास ने कहा कि जहां तक हमारी सूचना उपलब्ध है उसके अनुसार अब तक किसी भी अन्य आदिवासी या जनजातीय झारखंड निवासी व्यक्ति को रांची के औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए किसी तरह की भूमि का आवंटन नहीं किया गया है. इसके साथ ही इनकी रिश्तेदार सरला मुर्मू दो और कंपनी (जो शेल कंपनी हो सकती है) रक्तपुरा ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड तथा विहंगम बिल्डर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड में भी निदेशक हैं. दोनों कंपनियों में वे 2021 में ही निदेशक बनीं हैं. संभावना है कि इन कंपनियों के माध्यम से भी अवैध धन को खपाया जा रहा है. उपरोक्त परिस्थिति में यह बात सिद्ध करती है कि वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अपने पद का दुरुपयोग और षड्यंत्र करते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एवं सीएनटी का उल्लंघन किया गया है, जो किसी भी सरकारी सेवक के लिए आपराधिक व्याभिचार के अंतर्गत आता है.