राजस्थान के धौलपुर जिला न्यायालय से बुधवार को एक मुजरिम सजा सुनाये जाने के बाद पुलिस कस्टडी से फरार हो गया. मुल्जिम के फरार हो जाने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया.
न्यायालय परिसर में पहुंचे पुलिस के आला अधिकारियों ने इलाके में तलाशी अभियान भी चलाया, लेकिन मुजरिम का कोई सुराग नहीं लग सका. दरअसल, जिले के पॉक्सो न्यायालय ने बुधवार को दो सगे भाइयों को एक 15 वर्षीय नाबालिग का अपहरण कर उससे जबरन शादी करने के मामले में सजा सुनाई. इसी दौरान एक भाई पुलिस को चकमा देकर न्यायालय से फरार हो गया. मुजरिम के फरार हो जाने से न्यायालय परिसर में हड़कंप मच गया. पुलिस के जवानों ने मुल्जिम को पकड़ने का भी प्रयास किया, लेकिन मुजरिम रेलवे स्टेशन की तरफ झाड़ियों में फरार हो गया.
न्यायालय से मुजरिम के फरार होने की खबर लगते ही पुलिस हरकत में आ गई. भारी पुलिस बल रेलवे स्टेशन की तरफ पहुंच गया. पुलिस ने शहर भर में नाकाबंदी भी कराई. लेकिन मुजरिम का सुराग नहीं लग सका. पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई है. जिस कारण सजायाफ्ता मुजरिम फरार हो गया. जानकारी के मुताबिक 13 जुलाई 2019 को दिहौली थाना इलाके की 15 वर्षीय नाबालिग बालिका को आरोपी हलुका और सहदेव ने अपहरण कर लिया और भूतपुरा गांव के जंगलों में ले गए थे. जहां नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया था. एक मुजरिम ने नाबालिग बालिका के साथ जबरन शादी भी कर ली थी. नाबालिग बालिका के पिता ने आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था.
इसके बाद पुलिस ने आरोपी सहदेव और हलुका को मुजरिम बनाकर आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया था. दोनों आरोपी उक्त प्रकरण में जमानत पर चल रहे थे. लेकिन पुलिस के मुताबिक हलुका एक अन्य प्रकरण में जेल में बंद था. बुधवार को सजा सुनाये जाने के बाद मुजरिम सहदेव को पुलिस के जवान कोर्ट में बनी बैरक में दाखिल कराने ले जा रहे थे. इसी दौरान मुजरिम सहदेव पुलिस के जवान के हाथ से झटका मारकर फरार हो गया. मुजरिम के फरार हो जाने के बाद फौरन पुलिस के जवान रेलवे स्टेशन की तरफ भागे. आरोपी का पीछा किया. लेकिन आरोपी झाड़ियों और खेतों के रास्ते फरार हो गया. मामले की खबर मिलते ही भारी तादाद में पुलिस बल मौके पर पहुंच गया.
पुलिस ने रेलवे स्टेशन के आसपास और खेतों में तलाशी अभियान चलाया. लेकिन अपराधी का कोई सुराग पुलिस को नहीं मिल सका. इस पूरे प्रकरण में पुलिस की लापरवाही सामने आई है. अगर पुलिस सतर्क और चौकस होती तो ये नौबत नहीं आती. पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक संतोष मिश्रा ने बताया कि बुधवार को कोर्ट में दोनों आरोपियों को पेश किया गया. न्यायालय ने सहदेव को दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा 363, 366ए के तहत तीन वर्ष कैद और पांच हजार रुपये का अर्थदंड और आईपीसी की धारा 366ए में तीन वर्ष और दस हजार रुपये के अर्थ दंड की सजा सुनाई हैं. वही संदेह का लाभ देते हुए दूसरे मुल्जिम हलुका को बरी कर दिया गया. सजा सुनने के बाद दोषी फरार हो गया.
Exploring world