झारखंड: राज्यसभा चुनाव 2016 हॉर्स ट्रेडिंग प्रकरण में पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता सहित अन्य के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (पीसी एक्ट) के तहत मुकदमा चलाएं जाने का प्रस्ताव रांची पुलिस ने पुलिस मुख्यालय के माध्यम से राज्य सरकार को भेजा था. इस प्रस्ताव पर सीएमओ से अनुमति मिल गई है. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है. गौरतलब है कि पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता पर 2016 में भाजपा के पक्ष में वोट देने के लिए कांग्रेस के तत्कालीन विधायक निर्मला देवी को प्रलोभन देने और उनके पति योगेंद्र साव को धमकाने का आरोप है. निर्वाचन आयोग के निर्देश पर 28 मार्च 2018 को रांची के जगन्नाथपुर थाने में दर्ज एफआईआर में तत्कालीन सीएम रघुवर दास के राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार का भी नाम है. इन दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 171 बी और 71 सी के तहत केस दर्ज किए गए थे. वहीं नवंबर 2020 में राज्य सरकार ने इस मामले में पीसी एक्ट 1988 की धारा 7 एवं 13 (1) (डी) और 13 (2) और आईपीसी की धारा 120 (बी) के तहत कार्रवाई करने को मंजूरी दी थी, लेकिन यह तय नहीं हुआ था, कि पीसी एक्ट के तहत अलग से एसीबी में मुकदमा दर्ज होगा. इधर झारखंड पुलिस के नए प्रस्ताव पर राज्य सरकार द्वारा मुहर लगाए जाने की खबरें प्रकाशित होने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रतिक्रिया देते हुए कहां है, कि “मीडिया के माध्यम से खबर मिली है कि झारखंड सरकार ने छह साल पुराने राज्यसभा चुनाव 2016 मामले में नयी धाराएं जोड़ कर मुझे भी इसमें शामिल करने का प्रयास कर रही है. अगर ऐसा है, तो इस निर्णय का मैं स्वागत करता हूं. पिछले लगभग चार साल से मामले की जांच चल रही है, लेकिन मामले में कुछ नहीं मिल पाया, तो मामले को जीवित रखने के लिए सरकार के इशारे पर कुछ काबिल अधिकारियों ने इसमें नयी धाराएं जोड़ने का प्रयास शुरू किया हैं. झारखंड में पहली बार विद्वेष और बदले की राजनीति की शुरुआत हो रही है, लेकिन किसी को यह भूलना नहीं चाहिए कि यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है. दरअसल यह 2024 की तैयारी है. मुख्यमंत्री जी चुनाव तक यह मामला खींचना चाहते हैं. जो अधिकारी यह सोच रहे हैं, कि अभी गंदगी फैला लेंगे और 2024 तक रिटारमेंट के बाद आराम की जिंदगी बसर करेंगे, तो यह उनकी भूल है. सभी की जिम्मेदारी तय की जायेगी. गलत करके बचने की उम्मीद छोड़ दें. मेरा सरकार व उनके काबिल अधिकारियों से यह आग्रह है, कि कानून की किताब से और जितनी तरह की धाराएं इस मामले में जोड़ी जा सकती हैं, उसे जोड़ कर लगा लें, मैं डरनेवाले लोगों में नहीं हूं. मेरा जीवन खुली किताब है, जो चाहे इसे पढ़ सकता है.

