पटमदा: झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अनोखा कार्य किया गया, जिसकी हर कोई सराहना कर रहे हैं. समिति के सदस्यों ने मैट्रिक व इंटरमीडिएट के विद्यार्थियों के लिए इस साल का पर्यावरण दिवस यादगार बना दिया.
दअरसल, बोड़ाम प्रखंड अंतर्गत बांकदा मध्य विद्यालय तथा दिघी भुला उच्च विद्यालय में झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के सदस्यों ने पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया. इस अवसर पर इस साल मैट्रिक व इंटरमीडिएट परीक्षा में 80 प्रतिशत या उससे अधिक अंक से उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को समिति के सदस्यों ने सम्मानित किया. समारोह में प्रखंड के सभी विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया. इस दौरान मेधावी छात्रों को समिति के सदस्यों ने फलदार व छायादार पौधा देकर सम्मानित किया.
पौधे पाकर विद्यार्थी खुशी जताते हुए समिति के सदस्यों का आभार जताया. कार्यक्रम में बोड़ाम के प्रखंड विकास पदाधिकारी, वन विभाग के अधिकारी, वनपाल, पुलिस के जवान मौजूद थे.
इस मौके पर झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के सदस्य विश्वनाथ महतो ने कहा कि इस समय जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने से मानव जाति भयभीत है. प्राकृतिक घटनाएं जैसे चक्रवात, असहनीय गर्मी व असमय वर्षा आदि हमारे सामने नए- नए संकट पैदा कर रहे हैं. ग्रीन हाउस गैसों की बढ़ती मात्रा से स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो रहा है. इन सारी परिस्थितियों के कारण ही अनेकों गंभीर बीमारियां जन्म ले रही हैं. पर्यावरण की सुरक्षा एवं देखभाल आज मानव सभ्यता के लिए एक अत्यंत चुनौती भरा विषय बन गया है.
विश्वनाथ महतो ने कहा कि प्रत्येक पूंजीवादी- साम्राज्यवादी देश अपने मुनाफे का अंबार खड़ा करने के लिए पर्यावरण की अनदेखी कर रहे हैं. बड़े- बड़े कारखानों से होने वाले व्यापक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं. मुनाफे के लिए पूंजीपतियों द्वारा अंधाधुंध जंगलों की कटाई की जा रही है. पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए देश में लाखों हेक्टेयर में फैले हजारों वर्ष पुराने जंगल को काटने की अनुमति दी जा रही हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रायः बड़े- बड़े पर्यावरण सम्मेलन हो रहे हैं. जहां एक देश दूसरे देश पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए दोषारोपण कर रहे हैं.
विश्वनाथ ने कहा कि सभी देशों को सामुहिक प्रयास करना होगा, तभी पर्यावरण संरक्षण संभव है. मानव जाति को पर्यावरण के प्रति प्रेम का भाव रखना होगा, पर्यावरण के प्रति प्रेम और लगाव से पर्यावरण का संरक्षण होगा.