सरायकेला/ Rasbihari Mandal शुक्रवार को पारा शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल पारा शिक्षक- गैर पारा जेटेट सफल अभ्यर्थी संघ के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल दास के नेतृत्व में सूबे के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से घोड़ाबांधा, जमशेदपुर स्थित आवास में मिला. मुलाकात करके प्रतिनिमंडल ने राज्य में होने वाली सहायक आचार्य नियुक्ति के संदर्भ में पारा शिक्षकों के लिए कॉमन अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने एवं पूर्वी सिंहभूम जिले के 38 सहित राज्य भर में काफ़ी संख्या में मानदेय स्थगन से प्रभावित पारा शिक्षकों के एक मामले पर अपनी मांगें रखीं.


इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष कुणाल दास ने मीडिया से कहा वर्ष 2015- 16 की सहायक शिक्षक नियुक्ति के दौरान भी सरकार ने पारा शिक्षकों के लिए कॉमन अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया था. इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान के तहत राज्य भर के पारा शिक्षक न केवल प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी लेवल के अध्यापन के लिए प्रशिक्षित हैं बल्कि काफ़ी संख्या में दोनों ही कैटेगरी में जेटेट पास भी किए हैं. विगत बीस सालों से राज्य के पारा शिक्षक यहां के प्रारंभिक सरकारी स्कूलों में पूरे वर्ग एक से आठ तक का अध्यापन कार्य भी कर रहे हैं.
विदित हो कि हाईकोर्ट ने भी दोनों कोटि में जेटेट पास पारा शिक्षकों सहित तमाम अभ्यर्थियों को सहायक आचार्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति भी दी थी. जिसके बाद दोनों कैटेगरी में जेटेट उत्तीर्ण पारा शिक्षकों ने परीक्षा में हिस्सा भी लिया. परंतु जेएसएससी ने मुख्य नियुक्ति प्रक्रिया में पारा शिक्षकों के लिए दोनों कैटेगरी का अलग- अलग अनुभव प्रमाण पत्र का प्रपत्र जारी किया है. ऐसे में हजारों बोथ कैटेगरी पास पारा शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जेएसएससी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले पर पल्ला झाड़ते हुए एक-दू सरे पर आरोप- प्रत्यारोप कर रहे हैं. श्री दास ने आगे कहा कि माननीय मंत्री जी से आज़ इस मामले के समाधान पर बातचीत हुई है और उन्होंने आश्वस्त भी किया है. बावजूद इसके अगर कॉमन अनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया तो हम कोर्ट की भी शरण में जा सकते हैं.
मौके पर मौजूद पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष हिमांशु महतो ने कहा कि प्रयाग महिला विद्यापीठ एवं भारतीय शिक्षा परिषद जैसे संस्थानों से एकेडमिक डिग्री प्राप्त सैकड़ों पारा शिक्षकों का मानदेय सरकार द्वारा रोक दिया गया है. जबकि इन संस्थानों से प्राप्त डिग्री को पूर्व में सरकार द्वारा मान्यता दी जा चुकी है. इसी आधार पर ये पारा शिक्षक तकरीबन बीस सालों से राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं. अचानक इस प्रकार हटा दिया जाना बिल्कुल भी उचित नहीं है. हालांकि शिक्षा मंत्री ने इस विषय पर भी समाधान का आश्वासन दिया है. परंतु अगर समाधान नहीं होता है तो ऐसे पारा शिक्षक भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल में अनूप दास, अविनाश कुमार, जयंती पूर्ति, शकुंतला हेंब्रम, रायमनी सोरेन, रायमत हांसदा आदि काफ़ी संख्या में पारा शिक्षक मौजूद थे.
