पाकुड़/ Rahul das : पाकुड़ जिले के विभिन्न गांवों, पहाड़ों व नदियों के किनारे उगे काश के फूलों की अठखेलियां मां दुर्गा देवी की पुजा आने से पहले ही हर वर्ष के भांति इस वर्ष भी देखी जा रही हैं. ये काश के फूल को खिलने से मां दुर्गा देवी की पूजा का एहसास लोगों को लगता हैं और मां दुर्गा देवी के आगमन और हल्की ठंडी हवाओं के एहसास के साथ शरद ऋतु का आगमन भी होता है. काश के फूल बोलें तो वह भी एक घास की ही प्रजाति है. जड़ी बूटी आयुर्वेद बनाने में इसका कई प्रकार के रोगों में औषधीय बहुत ही महत्वपूर्ण है.
काश का फूल बहुत ही प्रभाव है.पहाड़ी क्षेत्रों, नदियों किनारे,मैदानों में, चारों तरफ फैलें सफेद काश के फूल इन दिनों दुर्गा पूजा के आगमन का एहसास दे रहीं हैं मानों कि पूरी प्रकृति दुर्गा देवी के स्वागत को आतुर हो रहीं हैं. वर्षा ऋतु के समापन एवं शरद ऋतु के आगमन के दौरान ऊंचे पहाड़ी इलाकों,नदियों के तट पर काश के फूल लहराने लगे हैं. काश के फूल को बंगाली समाज मे मां दुर्गा की पूजा में खास ही महत्व दिया जाता है.