जमशेदपुर: मंत्री चंपई सोरेन के निर्देश पर सरायकेला उपायुक्त अरवा राजकमल ने पहल की और पद्मश्री छुटनी महतो को बेहतर ईलाज कराने को लेकर गम्हरिया प्रखंड विकास पदाधिकारी को जरूरी दिशा- निर्देश दिया.
मंगलवार को बीडीओ मारुति मिंज एवं सीओ मनोज कुमार ने बीरबांस पहुंचकर बीमार छुटनी महतो के संबंध में जानकारी हासिल की. हालांकि इस दौरान उनके साथ स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था.
उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरायकेला- खरसावां जिला अध्यक्षता सह जिला 20 सूत्री अध्यक्ष डॉक्टर शुभेंदु महतो ने भी छुटनी महतो के स्वास्थ्य का हाल जाना. इधर बुधवार को सरायकेला- खरसावां जिला प्रशासन की ओर से पद्मश्री छुटनी महतो को टीएमएच पहुंचाया गया. यहां भी लापरवाही सामने आई. टीएमएच पहुंचने पर जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी वहां मौजूद नहीं था. छुटनी के साथ उनका छोटा पुत्र अर्जुन महतो और एम्बुलेंस कर्मी मौजूद था. टीएमच प्रबंधन ने रजिस्ट्रेशन के बगैर इलाज कराने से मना कर दिया. अर्जुन महतो ने पद्मश्री छुटनी महतो का परिचय दिया. जिसपर प्रबंधन की ओर से छुटनी महतो के पद्मश्री होने का प्रमाण मांगा. बताया गया कि उनके इलाज से संबंधित कोई भी सूचना उन्हें नहीं दी गई है. ऐसे में बगैर अस्पताल के प्रक्रिया का पालन किए इलाज नहीं किया जा सकता है.
करीब डेढ़ घंटे तक छुटनी इमरजेंसी में बैठी रही. समाचार लिखे जाने तक पद्मश्री छुटनी महतो का इलाज शुरू नहीं हो सका है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि मंत्री चंपई सोरेन, उपायुक्त, प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर तमाम आला अधिकारियों को छुटनी महतो के बीमार होने की जानकारी रहने के बावजूद उन्हें भर्ती कराने के वक्त कोई भी प्रशासनिक पदाधिकारी मौजूद नहीं था. इस संबंध में जब गम्हरिया प्रखंड विकास पदाधिकारी से बात किया गया तो उन्होंने कहा उपायुक्त के गोपनीय शाखा को जानकारी दे दी गई है. जल्द ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. ऐसे में सवाल यह उठता है कि पद्मश्री छुटनी महतो को टीएमएच ले जाने से पूर्व वहां प्रबंध क्यों नहीं किया गया ? विदित हो कि पद्मश्री छुटनी महतो को 3 दिन पूर्व पैरालिसिस अटैक आया है. उनके चेहरे का एक हिस्सा लकवा ग्रस्त हो गया है. उन्हें बोलने में लड़खड़ाहट हो रही है. पैसों के अभाव में छुटनी महतो टाटा मुख्य अस्पताल में इलाज करा पाने में सक्षम नहीं थी. मंगलवार को इसकी जानकारी मिलने पर सभी संबंधित पदाधिकारियों को सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मुहैया कराई गई, बावजूद इसके पद्मश्री के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है.