JAMSHEDPUR वैश्विक त्रासदी कोरोना के दूसरे लहर में जिस तरह लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय काल- कवलित हुए उससे भले कई घरों का चिराग बुझा हो, भले कइयों के सर से साया उठ गया हो, मगर उस दौर ने वैश्विक जनमानस को बड़ी सीख दी है वो ये कि ऑक्सीजन को अगर जेनरेट करना है तो प्रकृति को संरक्षित करना होगा.
उसी सबक को जमशेदपुर के एक युवक ने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया आइए जानते हैं जमशेदपुर के अनाथ पौधों के रखवाले की अनोखी पहल…..
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ये है जमशेदपुर के बिरसानगर का रहनेवाला अमरदीप मुखी, कहने को तो यह युवक दलित वर्ग से आता है, मगर इस दलित युवक ने समाज को बड़ी सीख दी है. कोरोना त्रासदी के दूसरे दौर में इसने भी ऑक्सीजन की किल्लत को करीब से देखा उसके बाद इसने जो संकल्प लिया वह काबिल- ए- तारीफ है. अमरदीप ने कोरोना त्रासदी के दूसरे दौर से प्रेरित होकर अनाथ पौधों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया. जहां- तहां उगे पौधों को उखाड़कर उसे संचित कर लोगों को मुफ्त बांटता है, ताकि पौधों का संरक्षण हो और धरती में होनेवाले ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा सके.
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आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कई बड़े- बड़े कार्यक्रम आयोजित कर हजारों- लाखों खर्च कर प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया जा रहा है, मगर अमरदीप के इस अनूठे संकल्प की कोई सानी नहीं. आर्थिक रूप से कमजोर अमरदीप ने जमशेदपुर के ही गलियों में घूम- घूम कर हर तरह के पौधों का संकलन किया और “ओर्फ़न ट्री बैंक झारखंड” की स्थापना की. इसके माध्यम से जरूरतमंदों के बीच उनके डिमांड के अनुसार पौधे बांटता है. अमरदीप के इस प्रयास की हर ओर खूब चर्चा हो रही है.
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अमरदीप मुखी