राजनगर से पितांबर सोय की रिपोर्ट
राजनगर: प्रखंड प्रमुख पद पर निर्विरोध निर्वाचित ओलिभ ग्रेस कुल्लू जेल सुपरिंटेंडेंट से रिटायर्ड होकर सीधे राजनीति में कदम रखी, तो जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन देकर गम्हरिया पंचायत से पंचायत समिति सदस्य और मुखिया दोनों पदों पर प्रचंड वोट से विजय बनाया. क्षेत्र में उनके पति कालीपद सोरेन के कद और सम्मान की बदौलत प्रखंड प्रमुख पद पर ओलिभ अब निर्विरोध चुनी गई. कहा जा सकता है कि ओलिभ के लिए यह सुखद राजनीतिक पारी की शुरुआत है. 33 सालों तक ब्यूरोक्रेसी में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए, वर्ष 2017 में घाघडीह सेंट्रल जेल से जेल अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुई.
व्यवस्था के अंदर रहते हुए ही ओलिभ को हमेशा गरीबों की चिंता रहती थी, तो रिटायरमेंट के बाद ओलिभ का राजनीति में आना स्वाभाविक था, क्योंकि घर में भी माहौल ऐसा ही था, उनके पति कालीपद सोरेन हमेशा समाजसेवा और राजनीति से जुड़े रहे, लोगों की सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं. इसलिए ओलिभ ने भी पति के सेवा कार्यों से उत्प्रेरित होकर राजनीति के रास्ते को चुना.
ओलिभ कहती हैं राजनीति जन सेवा का एक उचित प्लेटफॉर्म है. बिना राजनीति में आए आप अपने हक व अधिकार के प्रति जागरूक नहीं हो सकते. यह देख कर आज भी मुझे काफी दुःख महसूस होता है कि जागरूकता के अभाव के कारण सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम पायदान पर खड़ी जनता नहीं ले पाती है. मेरी प्राथमिकता अंतिम व्यक्ति तक विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है. नारी सशक्तिकरण पर जोर रहेगा. जनता के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी, पेंशन आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था कराना है.
मेरे लिए मेरा हर सदस्य प्रमुख है : ओलिभ
निर्विरोध प्रखंड प्रमुख चुने जाने के बाद ओलिभ ग्रेस कुल्लू ने सभी पंचायत समिति सदस्यों को अपना पूर्ण समर्थन देने के लिए धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि मेरे हर पंचायत समिति सदस्य मेरे लिए प्रमुख के समान हैं. सभी सदस्यों को साथ लेकर चलूंगी. सबके मान सम्मान का ख्याल रखूंगी. प्रखंड के सर्वांगीण विकास के लिए सभी सदस्य मिलकर काम करेंगे.
बाईट
ऑलिभ ग्रेस कुल्लू (नवनिर्वाचित प्रमुख- राजनगर)
ओलिभ ग्रेस कुल्लू की शिक्षा- दीक्षा
ओलिभ ग्रेस कुल्लू ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सिमडेगा से प्राप्त की. इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए रांची महिला कॉलेज, रांची यूनिवर्सिटी से एमए एवं बीएड की डिग्री हासिल की. साल्टलेक कोलकाता से एनआईएस (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स) में डिप्लोमा पूरा करने के बाद पुलिस विभाग में नौकरी की. इसी दरम्यान बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और 1993 में जेलर बनीं. वे 33 साल सरकारी सेवा में रहीं. 2017 में केंद्रीय कारा घाघीडीह से जेल सुपरिंटेंडेंट पद से सेवानिवृत्त हुईं.