नीमडीह (विद्युत महतो) नालसा एवं झालसा द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मौलिक अधिकार के रूप में ग्रामीणों को विभिन्न कानूनों के संबंध में जानकारी देकर जागरूक करने का कार्य लगातार किया जा रहा है. इसी कड़ी में नीमडीह प्रखंड के आदरडीह ग्राम में बुधवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार सरायकेला की ओर से विश्व ब्रेल दिवस के अवसर पर विधिक साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम में ग्रामीणों को अपने मौलिक अधिकार अधिनियम के संबंध में जानकारी दिया गया. सामाजिक रूढ़ीवादी परम्पराओं के खिलाफ लोगों को जागरूक किया गया. कार्यक्रम में पीएलवी शुभंकर महतो ने कहा कि भारत सरकार ने संकुचित व्यक्ति अधिनियम ,1995 में प्रारंभ किया था. यह अधिनियम अंधे लोगों के अलावा कम दृष्टि वाले लोगों के लिए एक विशेष श्रेणी प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त पीएलवी शुभंकर महतो ने रूढ़ीवादी परम्परा जैसे, बाल विवाह, बाल श्रम, डायन प्रथा, दहेज प्रथा इत्यादि के खिलाफ जागरूक करते हुए, लोगों को इसके कानूनी पहलुओं की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि माता बहनों को डायन जैसे निराधार आरोप लगाकर प्रताड़ित करना न्यायसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि डायन कहने पर अजमानतीय धारा के तहत कार्रवाई हो सकता है. उन्होंने कहा कि बाल विवाह, बाल मजदूरी एक कानूनी अपराध है, इससे बचने की जरूरत है. मौके पर मुखिया सुभाष सिंह, सुमंत्रा दास, कमला कुमार, सुभद्रा कुमारी, गंगा कुमारी, इत्यादि सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे.