जमशेदपुर: झारखंड में भाषा विवाद को लेकर उपजे हालात पर राज्य की जनता दो धड़ों में बंटी है. धीरे- धीरे सरकार के खिलाफ गैर झारखंडी भाषियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. रविवार को गोविंदपुर विकास परिषद के संरक्षक राजेन्द्र कुमार सिंह के आवास पर गोविंदपुर विकास परिषद की बैठक हुई जहां राजेंद्र कुमार सिंह ने झारखंड के वर्तमान हालात को चिंताजनक बताते हुए राज्य में अविलंब राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इन दिनों भाषा के सवाल को लेकर झारखंड में स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. खासकर भोजपुरी अंगिका और मगही, मैथिली को लेकर झारखंड सरकार की प्रायोजित नीति के कारण प्रदेश में गृह युद्ध की आशंका बनी हुई है. उन्होंने आगे कहा कि स्थानीयता की नीति को लेकर सरकार प्रायोजित भ्रामक और उकसावे पूर्ण कारनामों को बढ़ावा दे रही है. सरकार के इस निर्णय से लाखों- करोड़ों भोजपुरी अंगिका और मगही, मैथिली भाषा- भाषी लोगों की भावनाएं आहत हुई है, और उनमें व्यापक स्तर पर आक्रोश फैल रहा है. श्री सिंह ने कहा कि भोजपुरी अंगिका और मगही, मैथिली को झारखंड में क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की निर्णय के खिलाफ स्वयं वर्तमान सरकार द्वारा प्रदेश में कटुता पूर्ण, द्वेष पूर्ण और भेदभाव पूर्ण माहौल बनाने वाले लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है, कि स्थानीयता नीति के मद्देनजर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा 1985 को आधार वर्ष मानने के निर्णय के साथ अगर छेड़छाड़ किया गया तो प्रभावित भाषा भाषी लोग निर्णायक आंदोलन शुरू कर देंगे. उन्होंने सरकार से मांग की है, कि भोजपुरी अंगिका और मगही, मैथिली को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा बरकरार रखें तथा प्रदेश को गृह युद्ध की ओर जाने से बचाएं. इस दौरान रामकुमार सिंह, प्रशिद्ध पाण्डेय, चन्द्रशेखर सिंह, मंटू शुक्ला, सोनू सिंह, अमित मिश्रा, अरूण यादव, राजेश पाठक, प्रमोद, अजय सिंह, नीरज, मनोज भगत, नरेश, राजू, आदि उपस्थित रहे.
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