जमशेदपुर: झारखंड में भाषा विवाद के बाद उपजे हालात पर राज्य सरकार ने भोजपुरी, मैथिली, अंगिका और मगही को लेकर क्षेत्रीय भाषाओं के लिए जिलावार नई सूची जारी की है. राज्य के दो जिलों धनबाद और बोकारो से मगही, भोजपुरी और अंगिका को हटाने के बाद फिर से विवाद गहरा गया है. विपक्ष जहां सड़क से सदन तक सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गयी है, वहीं राज्य के इकलौते बिहारी विधायक और झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह सरयू राय ने भी सरकार के फैसले पर तल्ख टिप्पणी की है, और सरकार से सवाल करते हुए पूछा है, कि किस नियम और कानून के तहत सरकार ने पहले इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिया था, और अब किस कानून के तहत वापस लिया है. उन्होंने सरकार को नसीहत देते हुए कहा है, कि सरकार नियम और कानून के प्रावधानों से चलती है. स्थान और जनसंख्या के आधार पर भाषाई नीति तय होनी चाहिए. 2000 के पहले झारखंड बिहार का हिस्सा था, आज भी सीमावर्ती इलाकों से जुड़े लोग धनबाद और बोकारो जैसे शहरों में आकर बसे हैं. इसका मतलब उन्हें क्षेत्रीयता के आधार पर सुविधा से वंचित नहीं रखा जा सकता. देश विभाजन के कालखंड का जिक्र करते हुए सरयू राय ने सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार दबाव में आकर फैसले ले लेती है, मगर उसका परिणाम काफी गंभीर होता है. कानून कहता है कि सरकार अल्पमत वाले लोगों का संरक्षण करें. वहीं उन्होंने विरोध करने वालों से सरकार से संवाद के जरिए हल निकालने की पहल करने की अपील की. हालांकि इसके लिए न्यायपालिका की शरण में जाने की भी सलाह सरयू राय ने दी है. उन्होंने कहा ऐसे मामलों में विवाद से नहीं संवाद से समाधान निकलना चाहिए.
सुनिए क्या कहा सरयू राय ने video