सरायकेला जिले में जमीन माफियाओं और सरकारी कर्मचारियों के मिलीभगत से आदिवासियों और मूलवासियों की जमीनों का बंदरबांट जारी है. वैसे अबतक जांच के नामपर महज खानापूर्ति हो रही है. जबकि कार्रवाई शून्य. नतीजा भू माफिया और भ्रष्ट कर्मियों के हौंसले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे हैं.
यहां के अधिकारियों ने जमकर सीएनटी कानून की भी धज्जियां उड़ाई हैं. कमोवेश यह स्थिति हर अंचल की है. बीते दिनों गम्हरिया प्रखंड के कुलुपटांगा मौजा के खाता नम्बर 81, प्लाट नम्बर 737 और 743 पर बने सरकारी स्कूल और तालाब की जमीन को भू माफियाओं द्वारा बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया था, जिसके बाद जिले के उपायुक्त ने जांच के आदेश दे दिए है, मगर वह जांच राजनीति की बलि वेदी पर चढ़ गया और ठंडे बस्ते में चला गया.
इधर उससे भी बड़ा मामला सरायकेला अंचल में प्रकाश में आया है जहां भू माफियाओं ने एक ही जमीन को कई- कई लोगों को बेच दिया. इतना ही नहीं जमीन पर सालों से खेती कर रहे आदिवासियों की जमीन पर जबरन जमीन माफिया कब्जा जमाने में तुले हैं. रविवार को जमीन मालिक के सब्र का बांध टूट गया और सभी अपनी जमीन बचाने सड़क पर उतर गए. और प्रशासन से जमीन माफियाओं के आतंक से जमीन वापस दिलाने की फरियाद लगाते नजर आए. सबसे अहम सवाल ये है, कि आखिर अंचल कार्यालय से जमीन बंदोबस्त कैसे हो गया. कैसे एक ही जमीन दो- दो लोगों को रजिस्ट्री कर दिया गया. ऐसे एक- दो नहीं बल्कि दर्जनों रैयत सड़क पर उतरकर न्याय की गुहार लगाते नजर आए.
दरअसल पूरा मामला सरायकेला अंचल के ख़बराबाद मौजा के खाता नम्बर 8 के 10 एकड़ 46 डेसिमिल का है. जो जन्मजय राणा (स्वर्गवासी) ने 1960 से 1970 के बीच बेची थी. इसमे से 34 डेसिमिल जमीन केनाल में गया था जिसका संभवतः उन्होंने मुवावजा भी लिया होगा. अब जब जन्मजय राणा की मौत हो चुकी है, उनके पुत्र रंजीत कुमार राणा निर्मल कुमार राणा एवं पौत्र दीपक राणा द्वारा प्लॉट नंबर 6, 7, 8, 9, 58, 47/99, 55, 23 और 27 को जबरन बेचा जा रहा है. जबकि ये सभी प्लाट जन्मजय राणा ने अपने जीते जी ही बेच दिया था.
इनमें से प्लॉट नम्बर 6, 7, 8, 9 जिसे घासीराम महतो, अरुण महतो, लालू महतो (सभी स्वर्गवासी )और गुरुपद महतो ने खरीदा था. जिसका कुल रकबा 91 डेसिमिल था. इसमें से 34 डेसिमिल केनाल की जमीन को जन्मजय राणा के बेटों और पौत्र द्वारा किसी अन्य को बेच दिया गया है बाकी जमीन पर खेती करने से रोक लगा दिया है. वहीं प्लॉट नंबर 58 जिसे विक्रमादित्य राय के पिता विश्वजीत राय ने 1958 में जन्मजय राणा से खरीदा था. जिसका रकबा 52 डिसमिल था जिसमें विक्रमादित्य राय खेती-बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर रहा था उसे जन्म जय राणा के बेटों और पोते ने 2018- 19 में किसी तीसरे को बेच दिया. इसी तरह प्लॉट नंबर 77/ 99 को प्रमोद कुमार ज्योतिष ने जन्म जय राणा से खरीदा था. जिसका रकबा 45 डिसमिल है. प्रमोद कुमार ज्योतिष ने साल 2000 में कमलाकांत महतो को जमीन बेच दी. जिसे जन्म जय राणा के बेटों और पोते ने मार्च 2021 में किसी प्रेम अग्रवाल नामक व्यक्ति को बेच दिया. इसी तरह प्लॉट नंबर 55 और 18 को मिलाकर कुल 2 एकड़ 14 डिसमिल जमीन घुंदा हो ने खरीदी थी और उसमें खेती-बाड़ी कर रहा था. इसमें से प्लॉट नंबर 55 के 1 एकड़ 2 डिसमिल जमीन में से 45 डिसमिल जमीन तीनों ने मिलकर किसी दूसरे को बेच दिया. वहीं जमीन के इस खेल में सबसे बड़ा गड़बड़झाला प्लॉट नम्बर 23 और 27 का प्रकाश में आया है. जिसमें साल 1967 में श्याम चन्द्र महतो ने जन्मजय महतो से खरीदा था. जिसका कुल रकबा 77 डेसिमिल है. डीड में प्लॉट नम्बर 23 दर्ज कराया गया था, लेकिन कब्जा प्लॉट नम्बर 27 पर दिला दिया गया 1967 से लेकर अबतक श्याम चन्द्र महतो प्लॉट 27 को 23 मानकर खेती बाड़ी कर रहे हैं, मगर अब जन्मजय राणा के बेटों और पोते द्वारा प्लॉट नम्बर 27 से जबरन कब्जा छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. उधर जब श्याम चन्द्र महतो प्लॉट नम्बर 23 पर कब्जा के लिए अंचल कार्यालय जाते हैं तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया जा रहा है कि प्लॉट 23 बोकारो निवासी दीपक गोयल ने खरीदा है. जबकि यह मामला सीएम के जनसंवाद तक पहुंचा था, लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति और जांच तक ही मामला सिमटकर रह गया.
कुल मिलाकर एक ही जमीन को कई- कई बार बेचने के खेल में अकेले जन्मजय राणा के वंशज को ही जिम्मेदार मान लेना सही नहीं होगा. ऐसे कई जन्मजय राणा और उनके वंशजों के कारगुजारियों का खुलासा जिले के सभी अंचलों में मिल जाएंगे जरूरत है तो सख्ती से जांच और कार्रवाई की.
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