कुचाई: प्रखण्ड के दलभंगा स्थित बिरसा चौक में विभिन्न आदिवासी संगठनो द्वारा पारंपरिक तरीके से भगवान बिरसा मुंडा की 123 वीं शहादत दिवस मनाई गई. इस दौरान मुंडा- मानकियों ने पारंपरिक रीति- रिवाज के तहत पूजा अर्चना किया.
साथ ही पूजा अर्चना के साथ बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर नमन करते हुए श्रद्वाजंलि दी गई. मौके पर कुचाई के बारूहातु पंचायत के पूर्व मुखिया मानसिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासी एक कम्युनिटी है. एक करेक्टर है. उसकी भाषा- संस्कृति का विकास आवश्यक है. अपनी अस्मियता को बचाये रखने के लिए आदिवासियों में जागरूकता जरूरी है. छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम भगवान बिरसा मुंडा के आन्दोलन की देन है. उनके आदर्शो को अपनाएं तभी समाज का विकास होगा. बलिदानों व शहीदों के खून से यह झारखण्ड बना है. उनका सपना पूरा करना सच्ची श्रद्वाजंलि होगी.
बिरसा मुंडा झारखंड के लिए ही नही, बल्कि दुनिया के लिए इतिहास में है. इस महापुरूष ने अपनी जान की आहुती देकर अलग झारखंड राज्य की नींव रखी थी. भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्वाजंलि देने वालों में पूर्व मुखिया मानसिंह मुंड़ा, लखीराम मुंडा, महावीर मुंडा, नरसिंह मुंडा, सुखलाल मुंडा, भुवनेश्वर मुंडा, रामचन्द्र मुंडा, अजीत सिंह मुंडा, दोलू सिंह सरदार, बबलु मुर्मू, बोसेन मुंडा, राजेश मुंडारी सहित दलभंगा हाई स्कूल के शिक्षक व छात्र छात्राए शामिल थे.
Reporter for Industrial Area Adityapur