कुचाई: प्रखंड के बाड़ाबाण्डीह में ग्राम सभा एवं सामुदायिक वन पालन समिति की ओर से वनाधिकार शिला स्थापना दिवस मानाया गया. यह कार्यक्रम आशोक मानकी की आगुवाई में संपन्न हुआ. इससे पहले वाल अखड़ा के बच्चे- बच्चियां, ग्रामीण महिला- पुरुष पारंपरिक नाच- गान करते रैली की शक्ल में गांधी चबूतरा से बाण्डीह बुरु तक पहुंचे.
इस दौरान इन्होंने जल- जंगल- जमीन हमारी है, जंगल किसी की सम्पत्ति नहीं हमारी संस्कृति है, बिर- बुरु ओकोया- आबुवा- आबुवा, दिरी- दारू ओकोया, वनाधिकार कानून 2006 जिंदाबाद, जंगल क्या देता है- हवा- पानी और भोजन देता है, जंगल का संरक्षण कौन करेगा- वाल अखड़ा करेगा, वन्यजीव को क्या करना होगा- संरक्षण करना होगा, न लोकसभा न विधानसभा- सबसे ऊंचा ग्राम सभा, आदि नारे लगाते हुए रैली निकाली. सबसे पहले पाहन ने वन देवता का आह्वान कर स्थापित शिला का पूजा- अर्चना किया जिसमें व्रतधारी महिलाओं ने सहयोग किया.
इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि सामुदायिक वन पालन संस्थान के कुंदन गुप्ता ने कहा कि जंगल को संरक्षण करने से वनोपज अधिक होगी तथा आय में वृद्धि होगी. अत: वनाश्रित महिला स्वलंबन समिति का गठन करना है और वनोपजों का संग्रहण करना है तथा उपयुक्त बाजारों में विक्रय करने में सामुदायिक वन पालन संस्थान सहयोग करेगी. वहीं सामुदायिक वन पालन संस्थान के झारखंड प्रभारी राजेश कुमार महतो ने कहा कि जंगल का संरक्षण, संवर्धन, पुनुरुरुज्जीवित और प्रबंधन करना ही हमारे संस्थान का मुख्य उद्देश्य है. वन विभाग जंगल को बचाने में निष्क्रिय हो गया है. सरकार ने वनाधिकार कानून 2006 बनाकर ग्राम सभा को सौंपा है. वहीं वाल अखड़ा के केन्द्रीय प्रभारी सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि 14 से ऊपर और 18 साल के नीचे उम्र के बच्चे- बच्चियों को प्रत्येक कार्यक्रम में भाग लेना है ताकि वे भी बचपन से अपने अधिकारों के बारे में जाने और भविष्य में ग्राम सभा को संभाल सके. साथ ही वनों के दुश्मनों को विधि- सम्मत जबाब दे सके. कार्यक्रम में शामिल भरत सिंह मुण्डा ने कहा कि बाड़ाबाण्डीह ग्राम सभा ने वनाधिकार कानून 2006 के तहत प्रपत्र “ख” तथा “ग” पर दावा पत्र भरकर अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति में जमा किया था जिसके आधर पर उपबंध- 3 तथा उपबंध- 4 पर वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना था लेकिन उपबंध- 4 पर सामुदायिक वन संसाधन वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जिसको लेकर सबंधित विभाग में सुधार के लिए आपील याचिका दर्ज किया जाना चाहिए. उपबंध-3 में वर्ष 2024 को वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है लेकिन इसमें भी कई त्रुटियां है. कार्यक्रम में वनवारी लाल सोय, कारु मुण्डा, सुरेश सोय, अशोक मानकी, तुलसी मुण्डा आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई.