खरसावां : कुचाई प्रखण्ड अंतर्गत बाईडीह गांव मे रथ यात्रा के उपलक्ष्य में रंगारंग छऊ महोत्सव का आयोजन किया गया. महोत्सव में कुचाई के मरागंहातु और खूंटपानी के पटरापोसी के कलाकारों ने परंपरा आधारित नृत्य पेश कर सबका मन मोह लिया. इस अवसर पर वक्ताओ ने कहा कि छऊ क्षेत्र की जीवन रेखा है. छऊ नृत्य की परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है.
उन्होंने कहा कि खरसावां शैली का छऊ नृत्य संस्कृतियों का संगम है, जो दूर दूर तक फैली है. इसकी महत्ता बनाए रखें. तभी कला का विकास संभव है. इससे पूर्व महोत्सव की शुरुआत गणेश वंदना नृत्य के साथ की गई. इस दौरान कुचाई के मरागंहातु और खूंटपानी के पटरापोसी के कलाकारों के द्वारा आदिवासियों के शिकार परंपरा पर आधारित शिकारी नृत्य, मयूर, मां दुर्गा की महिषासुर वध, रात्रि, राजा हरिश चंद्र के दान, शौले, गुप्त मिलन, राम लक्ष्मण पर आधारित सेतु बंधन, अश्वमेध यज्ञ व सीता हरण, शिव पार्वती के तांडव नृत्य को जीवंत रूप दे कर क्रार्यक्रम में समां बांध दिया.
वहीं, दर्शकों ने श्रीकृष्ण बाल लीला पर आधारित कालिया दमन, मथुरा गमन, माया बंधन, माखन चोर, जय मां दुर्गा, महिसासुर वध, माया शबरी, रामलीला, शिव रात्री आदि नृत्य की भव्य प्रस्तुती देकर दर्शको मंत्रमुग्ध दिया. पूरी रात दर्शक छऊ नृत्य का लृफ्त उठाते रहे. इस दौरान मुख्य रूप से अमर सिंह बोदरा, मंटु होनहागा, राजेन उगरसान्डी, अनिल उग्रसांडी, गोलाराम उग्रसांडी, संजीत उग्रसांडी, सुजीत साहु सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.