कुचाई: आजसू जिला अनुसूचित जनजाति मोर्चा की ओर से शुक्रवार को हूल दिवस मनाया गया. आजसू नेता-कार्यकर्ताओं ने हूल विद्रोह के नायक सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं फूलो-झानो को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. शुक्रवार की सुबह आजसू अनुसूचित जनजाति (एसटी) मोर्चा जिला कार्यकारी अध्यक्ष रूप सिंह मुंडा के नेतृत्व में आजसू के नेता कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर हूल दिवस मनाया. नेता और कार्यकर्ताओं ने सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं फूलो-झानो को याद कर उनके चित्र पर बारी बारी से श्रद्धांजलि दी.
मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की संघर्ष गाथा और उनके बलिदान को आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले नायकों को याद करने का खास दिन है. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक के तौर पर हूल दिवस मनाया जाता है. संताल की पुण्यभूमि से हूल का शंखनाद अन्याय और दासता से मुक्ति की विजय गाथा है. उन नायकों का पवित्र स्मरण आज भी हम सबों का मार्गदर्शन करता है. उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सत्ता व साहूकारों के अत्याचारों के खिलाफ सिदो-कान्हू ने 1855-56 में एक विद्रोह की शुरुआत की थी, जिसे संताल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है.
उन्होंने बताया कि 30 जून 1855 को भोगनाडीह में संथाल आदिवासियों की सभा हुई थी. इसमें 400 गांवों के करीब 50 हजार संथाल एकत्र हुए थे। अंग्रेजों के जुल्म, शोषण और अत्याचार के विरुद्ध अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्गों ने बिगुल फूंका और इस चिंगारी की लपटें पूरे झारखंड सहित अन्य राज्यों में फैल गई. इस दौरान हूल दिवस का मुख्य रूप से आजसू एसटी मोर्चा के जिला कार्यकारी अध्यक्ष रूपसिंह मुंडा, संजय सोय, हीरालाल सरदार, बेरगा सोय, बादु सोय, निरंजन महतो, मधुसूदन महतो, मंगल सिंह सोय, गंगाराम मुंडा आदि उपस्थित थे.