सरायकेला/ Pramod Singh खरसावां विधानसभा के खूंटपानी प्रखंड के जहीरदा झरना लोहरदा में वृहद झारखंड मोर्चा की एक बैठक की गई. बैठक की अध्यक्षता अभय जामुदा ने की. बैठक में मुख्य रूप से मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष बिरसा सोय उपस्थित थे. बिरसा सोय ने कहा कि झारखंड राज्य में झारखंडियों का विकास तब तक नहीं हो सकता है जब तक झारखंड के सभी सरकारी स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होगी.


झारखंड अलग राज्य बनने के 24 वर्षों के बाद भी झारखंड के सरकारी स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई. इससे झारखंडियों की ढांचागत विकास में काफी प्रभाव पड़ रहा है. खनिज संपदा से संपन्न राज्य होने के बावजूद भी झारखंडी जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है. झारखंडियों को आज 24 साल के बाद भी अच्छी शिक्षा, अच्छे अस्पताल, अच्छी सड़क, सिंचाई की पर्याप्त सुविधा तथा 24 घंटा बिजली एवं बेरोजगारों को रोजगार की सुविधा से कोसों दूर रखा गया है. पिछले 24 साल में विकास के नाम पर सिर्फ लूट और भ्रटाचार का विकास हुआ है. उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों को उद्योग लगाने डैम बनाने और खनिज खदानों के नाम पर सदियों से विस्थापित किया जाता रहा है. झारखंड में आदिवासियों की जल जंगल जमीन बचाने के लिए सीएनटीटी, एसपीटी एक्ट, पांचवी अनुसूची कानून, समता जजमेंट विलकिंसन रूल, पेसा कानून जैसे मजबूत कानूनों को सरजमीं में सख्ती से लागू नहीं किया गया, इससे आदिवासियों की जल जंगल जमीन खुलेआम लूटी जा रही है. उन्होंने कहा कि वृहद झारखंड मोर्चा झारखंड के आदिवासी और मूलवासियों को उनका हक और अधिकार दिलाने के लिए चरणबद्ध आंदोलन करेगा. कहा कि झारखंड के वीर शहिदों और क्रांतिकारी आंदोलनकारियों के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए ही वृहद झारखंड मोर्चा का गठन किया गया है. हम बहुत जल्द झारखंड के सभी जिलों एवं प्रखंडों तक संगठन का विस्तार करेंगे. इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है. बैठक में उपस्थित पूर्व सैनिक चौरी पूर्ति ने कहा कि कोल्हान की धरती में खनिज संपदा का भंडार है. इसके बावजूद भी यहां के लोगों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है. कोल्हान से रोजगार के लिए हो रहे पलायन रोकने के लिए क्षेत्र विधायक और सांसदों को विशेष पहल करना चाहिए.उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के 24 साल के बाद भी कोई भी सरकार गांव की सरकार नहीं बन पाई. यही वजह है कि आज भी लोग विकास से कोसों दूर खड़े हैं. जिस उम्मीद के साथ झारखंड अलग राज्य बनाया गया उसका 10 प्रतिशत भी कार्य नहीं किया गया. इसका बुरा प्रभाव झारखंडियों के बहुमूल्य जीवन पर पड़ रहा है. बैठक में सावन बारला, सारंगधर हेंब्रम, दीउरी बारला, मोतीलाल गोपे, पोंडेराम सवैया, गुना राम जामुदा, बुधराम जामुदा, नाईकी सँवैया, बिरसिंह जामुदा, देवेन्द्र संवैया, बिरसिंह सँवैया, रायसिंह जामुदा एवं चांबरा जामुदा सहित अन्य उपस्थित थे.
