खूंटी/ Ajay Mahato जिला के अड़की प्रखंड के गोड़प्पा, जरंगा, सोसोकुटी, किताडीह और लेम्बा गांवों के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. वर्षों से सूखे और सिंचाई के अभाव में रबी की खेती से वंचित इन गांवों में अब फिर से हरियाली लौटने वाली है. खूंटी सांसद कालीचरण मुंडा की पहल पर राजाबांध और उससे जुड़ी नहर का शीघ्र ही जीर्णोद्धार किया जाएगा. जिससे इन गांवों के खेतों तक सिंचाई की सुविधा बहाल हो सकेगी.


सोमवार सुबह सांसद कालीचरण मुंडा एक टीम के साथ राजाबांध पहुंचे. उनके साथ लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता सरोज कुमार, सहायक अभियंता, अड़की बीडीओ गणेश महतो, प्रतिनिधि मो नईमुद्दीन खां और स्थानीय जनप्रतिनिधि सोनाराम अहिर भी मौजूद थे. सांसद और अधिकारी दल जंगल और पहाड़ों के रास्ते बांध तक पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. अभियंता सरोज कुमार ने बताया कि यदि बांध की ऊंचाई छह फीट बढ़ा दी जाए और लगभग दो किलोमीटर लंबी पक्की नहर का पुन: निर्माण कर दिया जाए, तो पांच गांवों के खेतों तक पानी आसानी से पहुंच सकता है. इससे रबी फसल की खेती संभव हो सकेगी.
निरीक्षण के दौरान सांसद कालीचरण मुंडा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जीर्णोद्धार कार्य से संबंधित सभी कागजी प्रक्रियाएं शीघ्र पूरी करें. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे स्वयं विभागीय सचिव और सरकार से संपर्क कर इस योजना को जल्द शुरू कराने का प्रयास करेंगे. करीब 90 वर्षीय पूर्व ग्रामप्रधान लक्ष्मण मुंडा ने बताया कि आजादी से पहले दिवड़ी, तमाड़ के राजा साहेब शिकार खेलने गोड़प्पा जंगल आया करते थे. उन्होंने यहां बहने वाले नाले का जलस्रोत देखकर बांध निर्माण का विचार किया और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से राजाबांध और नहर का निर्माण कराया. इसके चलते आसपास के गांवों में खुशहाली आई, लेकिन समय के साथ नहर जर्जर हो गई और सिंचाई व्यवस्था ठप पड़ गई.
इंदिरा गांधी तक पहुंची थी किसानों की आवाज
लक्ष्मण मुंडा ने यह भी बताया कि 1980 के दशक में जब देश में सूखा पड़ा था, तब ग्रामीणों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर नहर की मरम्मत की मांग की थी, लेकिन तब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. झारखंड राज्य गठन के बाद वर्ष 2008 में बांध के पास कुछ कार्य जरूर हुए, पर नहर की मरम्मत नहीं हो सकी. ग्राम प्रधान लक्ष्मण मुंडा ने चौपाल में कहा कि सांसद का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है. उन्होंने विश्वास जताया कि राजाबांध और पक्की नहर के पुनर्निर्माण के बाद गांवों में फिर से हरियाली और समृद्धि लौटेगी.
