खूंटी/ Ajay Kumar जिले में हरित क्रांति लाने की दिशा में सांसद कालीचरण मुंडा ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. उन्होंने न सिर्फ खेतों तक पानी पहुंचाने, बंद और नई योजनाओं को फिर से शुरू करने की दिशा में प्रयास तेज किए हैं, बल्कि अब जिले के 250 युवा किसानों को कृषि के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है. रविवार को सांसद ने एक बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि चयनित 250 युवा किसानों को एक- एक किलो ‘काला नमक’ धान का बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि इन किसानों द्वारा उत्पादित धान को ₹90 प्रति किलो के भाव से बिक्री की व्यवस्था कराई जाएगी, ताकि किसानों को उचित लाभ मिल सके.


देश के प्रमुख कृषि संस्थानों में होगा शैक्षणिक भ्रमण
सांसद मुंडा ने बताया कि किसानों को उत्पादन, प्रसंस्करण और बाजार व्यवस्था की समझ दिलाने के लिए देश के प्रमुख कृषि शोध संस्थानों में शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा जाएगा. इनमें शामिल हैं:
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च, बेंगलुरु
सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च, बनारस
नेशनल सेंटर फॉर मशरूम रिसर्च एंड ट्रेनिंग, बनारस
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
राजेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, समस्तीपुर
बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, भागलपुर
नेशनल सम और केवीके संस्थान जिला स्तर पर मिलेगा वैज्ञानिक प्रशिक्षण
सांसद ने यह भी बताया कि जिला स्तर पर चयनित किसानों को प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कृषि वैज्ञानिक डॉ. बैजनाथ सिंह को सौंपी गई है. डॉ. सिंह अफ्रीका और फिलीपींस में लंबे समय तक किसानों को प्रशिक्षण दे चुके हैं और भारत में सीआरआरआई कटक के निदेशक और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची में भी कार्यरत रह चुके हैं. वर्तमान में वे बनारस में अपनी संस्था के माध्यम से वैश्विक स्तर पर किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. सांसद कालीचरण मुंडा ने कृषि, लघु सिंचाई और जलछाजन योजनाओं से जुड़े अधिकारियों को अपने आवास पर बुलाकर इस विषय पर गंभीर मंथन किया है. उनका मानना है कि युवा पीढ़ी को कृषि के साथ जोड़कर ही हरित क्रांति को साकार किया जा सकता है.
