खरसावां: टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत 24 फ़रवरी से 24 मार्च तक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत शुक्रवार को खरसावां के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय मे जिला यक्ष्मा विभाग एवं पीरामल स्वास्थ के संयुक्त प्रयास से बालिका और शिक्षिकाओं के बीच टीबी बीमारी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया.
इस अवसर पर पीरामल स्वास्थ के जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला कार्यक्रम समन्यवक एवं यक्ष्मा विभाग से एसटीएलएस ने टीबी बीमारी के लक्षण, जांच एवं उपचार की जानकारी दी. पीरामल के ज़िला कार्यक्रम अधिकारी फ़ैज़ुल रहमान ने बताया कि टीबी की गंभीर स्थिति जानलेवा भी हो सकती है. साल 2021 में टीबी के कारण देश में 16 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है. समय पर टीबी के लक्षणों की पहचान और इसका उपचार किया जाना आवश्यक होता है. तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहने वाली खांसी की स्थिति में टीबी की जांच जरूर करानी चाहिए. उन्होने कहा कि टीबी की बीमारी माइक्रोबेकटेरियम ट्यूबर क्लोसिस बैक्तिरिया से होता है जो मुख्यतः फेफड़े को संक्रमित करता है. यह मानव शरीर के अन्य हिस्सों पर भी हो सकती है. टीबी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है. इसलिए ज़ब भी किसी व्यक्ति को दो या दो सप्ताह से अधिक खांसी हो, बुखार, थकान रात को पसीना आना आदि लक्ष्ण दिखे तो तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर बलगम की जांच करानी चाहिए. जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर सरकार द्वारा मरीज़ का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. साथ ही सरकार द्वारा टीबी संक्रमित व्यक्ति को इलाज की अवधि के दौरान हर माह 500 रूपये पोषण के लिए भी दिए जाते है. टीबी को आपसी सहभागिता से ही समाज से समाप्त किया जा सकता है.
वही ज़िला कार्यक्रम समन्वयक ब्यूटी कुमारी ने सभी छात्राओं एवं अध्यपिकाओ को टीबी बीमारी को 2025 तक जड़ से समाप्त करने की शपथ दिलाई. ज़िला यक्ष्मा विभाग से एसटीएलएस तारीख ने स्कूल के बच्चों से टीबी के संदिग्ध व्यक्ति को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर भेजने की अपील की गयी. इस दौरान छात्राओं द्वारा चार्ट पेपर पर टीबी के स्लोगन बनाये गए थे. अंत में पीरामल स्वास्थ्य द्वारा सभी छात्राओं को पेन वितरित किया गया. कार्यक्रम में विद्यालय की शिक्षिका स्वाति महतो, लक्ष्मी महतो, शकुंतला कुमारी सहित बालिका व शिक्षिका उपस्थित थे.