खरसावां: सरायकेला- खरसावां जिला के चक्रधरपुर रेल मंडल के हावड़ा मुंबई रेल खंड पर बड़ाबंबो राज खरसावां रेलवे स्टेशन के बीच पोटोबेड़ा गांव के समीप हुए मुंबई मेल हादसे की घटना को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ और खरसावां विधायक दशरथ गागराई हवाई मार्ग से घटना स्थल का जायजा लेने पहुंचे. तीनों नेता लगभग 20 मिनट घटनास्थल पर रुकने के बाद सरकार का संदेश देकर चलते बने जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.
बता दे कि इन दिनों झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. मंगलवार को सदन की कार्रवाई के बीच ही दुर्घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री का संदेश लेकर कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता के नेतृत्व में मंत्री दीपक बिरुआ और विधायक दशरथ गागराई मौके पर पहुंचे. यहां पहुंचकर स्वास्थ्य मंत्री ने ना तो रेलवे के अधिकारियों से घटना की जानकारी ली, ना ही उनसे पूछताछ की. उसके बाद सीधे घायलों से मिलने चक्रधरपुर रेलवे चले गए. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने घटना पर संवेदना जताते हुए सरकार द्वारा मृतकों के आश्रितों को दो- दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों के परिजनों को 50- 50 हजार रुपए देने की घोषणा की. उसके बाद केंद्र सरकार पर निशाना साधने के बाद हवाई मार्ग से वापस लौट गए.
तीनों नेताओं के इस व्यवहार के बाद राजनीतिक गलियारों से जो बातें छनकर सामने आ रही है उसके मुताबिक लोगों को यह कहते सुनते सुना जा रहा है कि सदन में राज्य के सबसे वरिष्ठ नेता के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन मौजूद थे. सरकार का प्रतिनिधि बनाकर उन्हें भी घटनास्थल पर भेजा जा सकता था. चंपई सोरेन इसी क्षेत्र से आते हैं और उनकी अलग पहचान है. मगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐसा ना करके एक नई सियासत को हवा दे दी है. लोग इसे चंपई सोरेन के अपमान से जोड़कर भी देख रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों में इसको लेकर मायूसी भी देखी गई. उनके समर्थकों ने बताया कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को सरकार का दूत बनाकर यहां भेजा जाता तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता जी जान से राहत और बचाव कार्य में जुटते इससे लोगों के बीच एक अच्छा संदेश भी जाता. मजे की बात तो यह है कि मंत्री दीपक बिरुआ चाईबासा से आते हैं. विधायक दशरथ गागराई के विधानसभा क्षेत्र में यह घटना घटी मगर तीनों नेता हवाई मार्ग से पहुंचे और करीब आधा घंटा रुकने के बाद हवाई मार्ग से ही चलते बने.