खरसावां Ramjan Ansari कुचाई में मानसून आने के साथ ही तसर के अंडों का उत्पादन शुरू हो गया है. झारखंड के सिल्क जोन के रूप में मशहूर खरसावां- कुचाई क्षेत्र में इस वर्ष मानसून सही समय पर आने से किसान उत्साहित है. रेशम के पहले चक्र की खेती के लिए खरसावां अग्र परियोजना केन्द्र में अब तक 20 प्रतिशत से अधिक डीएफएल का उत्पादन का स्वरूप किसानों में किया जा चुका है.
डीएफएल के बेहतर उत्पादन के लिए लगातार एक सप्ताह तक रुक- रुक कर बारिश के साथ 28 से 30 डिग्री तापमान होनी चाहिए. अनुमान है कि 4 लाख संरक्षित बीज कोए से लगभग 80 हजार रोगमुक्त बीज चकता उत्पादन होने का लक्ष्य है. जिससे सरायकेला खरसावां जिले के 250 रेशमदूत एवं कीटपालकों के बीच वितरण किया जा रहा है. इससे 25 लाख तसर कोए का उत्पादन होगा. बताया जा रहा है कि तसर की तितली 30 डिग्री के तापमान में बेहतर ढंग से प्रजनन करती है. डीएफएल उत्पादन के बाद माइक्रोस्कॉप से इसकी जांच कर किसानों के बीच वितरण किया.
फोटो
डीएफएल को माइक्रोस्कोप से जांच करते अग्र परियोजना केन्द्र के पदाधिकारी अखिलेश्वर प्रसाद, सहायक अधिक्षक प्रदीप महतो, अधिदर्शक लक्ष्मण बिरूवा, परियोजना प्रबंधक अपराजिता काण्डुला, रजनीश कुमार व अन्य कर्मी.
*पांच करोड तसर कोसा उत्पादन का लक्ष्य*
इस वर्ष फाइनली झारक्राफ्ट में पांच करोड़ तसर कोए उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. अग्र परियोजना केन्द्र के पदाधिकारी अखिलेश्वर प्रसाद ने बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो इस वर्ष पांच करोड़ के आसपास तसर कोया का उत्पादन होगा.
*250 रेशम दूत करेंगे कीट पालन*
खरसावां- कुचाई में करीब 250 रेशम दूत तसर के कीटों का पालन करेंगे. इन रेशम दूतों के बीच तसर के अंडों का वितरण होगा. रेशम दूत अंडों से कीटपालन कर अगले तीन माह में पुनः अद्य तैयार करेगे. जिसे क्षेत्र के करीब सात हजार किसानों में वितरण करेगे. तसर किसान इन अंडो से अपने खेतों में लगे अर्जुन व आसन के पेड़ में कीट पालन करेंगे.
*तसर खेती के लिये मौसम अनुकूल: अखिलेश्वर*
खरसावां अग्र परियोजना केन्द्र पदाधिकारी अखिलेश्वर प्रसाद ने कहा कि तसर की खेती के लिये इस वर्ष मौसम अनुकूल है. इससे उत्पादन बढेगी. क्षेत्र के किसानों में 80 हजार डीएफएल वितरण का लक्ष्य है. जिससें जिले के 250 रेशमदुत एवं किटपालकों के बीच वितरण किया जा रहा है. इससे 25 लाख तसर कोए के उत्पादन होगा.
Exploring world