खरसावां: जनजातीय कला- संस्कृति भवन में शुक्रवार को आदिवासी हो समाज महासभा द्वारा पारंपरिक तरीके से भगवान बिरसा मुंडा की 123 वीं शहादत दिवस मनाई गई. इस दौरान वारंग क्षिति लिपि के छात्र- छात्राओं ने पारंपरिक रीति- रिवाज के तहत पूजा- अर्चना किया.
साथ ही बिरसा मुंडा के चित्र पर नमन करते हुए श्रद्वाजंलि दी गई. मौके पर आदिवासी हो समाज महासभा के केन्द्रीय सदस्य लाल सिंह सोय ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा का पूरा जीवन संघर्षमय रहा. जल, जगल जमीन पर अपना मालिकाना तथा स्वशासन को लेकर अंग्रेजों के साथ खून की होली खेलने वाले महापुरूष थे. वही खरसावां के जोजोडीह पंचायत के मुखिया मंगल सिंह जामुदा ने कहा कि भगवान बिरसा के आदर्शो को अपनाए तभी समाज का विकास होगा.
बलिदानों व शहीदों के खून से यह झारखण्ड बना है. उनका सपना पूरा करना सच्ची श्रद्वाजंलि होगी. भगवान बिरसा को श्रद्वाजंलि देने वालों में मुख्य रूप से हो समाज के केन्द्रीय सदस्य लाल सिंह सोय, मुखिया मंगल सिंह जामुदा, रामलाल हेम्ब्रम, उदय सोय, वारंग क्षिति लिपि के शिक्षक सिदेश्वर सोय, सुखमती होनहागा, चांद मुनी बोदरा, सरस्वती होनहागा, बेलमती होनहागा, मालती सुंडी, रवि बाकिरा, बिरेन्द्र सोय, हषन बाकिरा, चमरू सोय, रघु हांसदा, लक्ष्मी सुंड़ी, मालती बोदरा, नागी बोदरा, हासा सामड, अमर सिंह गागराई आदि शामिल थे.